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वैशु

निधि भंडारे   निशि बहुत बेचेन थी| रह रहकर उसके मन में वैशु का खयाल आ रहा था| अभी 16 साल की उम्र, छोटी बच्ची और शादी भी हो गई| वैशु, 10 दिन ही हुए थे वैशु को उसके ऑफिस में काम करते हुए| निशि को याद है सोनाली ने बताया था, “म्याम, एक लड़की आयी है, उसेही काम की बहुत ज़रूरत है, सफाई के लिए रख लू? “तुम्हे ठीक लगता है तो रख लों,” सोनाली शादी में गई थी तो निशि जल्दी ऑफिस गई| जैसे ही ऑफिस पहुँची तो बाहर सीधियों में एक लड़की बैठी| निशि को लगा कोई बैठी होगी और निशि ने ऑफिस का ताला खोला और अंदर चली गई| तभी 5 मिनट बाद वही लड़की अंदर आयी| नमस्ते मैडम” वो बोली| नमस्ते, निशि ने जवाब दिया|   मैडम, मैं वैशु, आपके ऑफिस में सफाई करती हूं, वो बोली| निशि कुछ देर कुछ ना बोल पाई, छुपचाप उसे देखती रह गई| मैडम, पंधरा साल, अभी दसवी में हूं, वैशु धीरे से बोली, तो बेटा, पढाई करो, ये सब काम क्यों करती हो? निशि ने वैशु से कहा| मैडम, अब पढाई नहीं होगी, शादी हो गई ना, वैशु बोली| कब हुई शादी? निशि ने पूछा| नौ महीने हो गये, वैशु ने बताया| निशि को वैशु के घरवालों पर बहुत गुस्सा आया| उसने पूछा, तुम्हारे माता पिता ने तुम्हारी