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चित्रा मुद्गल की कहानियों में व्यक्तिपरक यथार्थ

  डॉ.संगीता शर्मा चित्रा मुदगल हमारे समय की अग्रणी कथाकार है। इन्होंने उपन्यास और कहानी दोनों ही विधाओं में कथ्य और भाषा सभी क्षेत्रों में नई जमीन तोडी है। चित्रा मुद्गल का जन्म 10 दिसंबर 1943 को सामंती परिवेश के निहाल खेड़ा, जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश के एक संपन्न अमेठिहन ठाकुर परिवार में हुआ। पिता साहसी और रोबदार व्यक्ति थे वहीं माताजी सीधी-सादी घरेलू महिला गांव के रोबदार ठाकुर परिवार में जन्म होने के कारण उन्होंने अपने परिवार द्वारा निम्न वर्ग का घरेलू शोषण देखा जिससे उनका बालमन विचलित हो उठा।बालपन से ही उनके मन में अंतर्विरोध जाग उठा मुंबई में 'सारिका' पत्रिका के संपादक अवधनारायण मुद्गल से अंतर्जातीय विवाह किया जिससे परिवार ने उनसे संबंध तोड़ लिए। आर्थिक तंगी का सामना करते हए वे एक चॉल में रहते थे तथा अवधनारायण मदगल ने कविताएं. कहानियां लिखना छोड़ एजेंसियों में विज्ञापन लिखने शुरू किए और चित्राजी ने अनुवाद इन सब परिस्थितियों के बीच भी इन्होंने अपनी साहित्य साधना नहीं रोकी तथा समय-समय पर कई पत्र पत्रिकाओं में इनके लेख, कविताएं, कहानियां छपती रही। इसी बीच में कई सामाजिक संस्था