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Showing posts from November 13, 2019

कुदरत से गिला नहीं

    मै नवीन कुमार, वर्ग स्नातकोत्तर उतरार्द्ध हिन्दी का छात्र हूँ जो उत्तरप्रदेश राज्य के बिजनौर जनपद के नजीबाबाद शहर में साहू जैन कॉलेज में अध्ययन कर रहा हूँ। मेरा जन्म 10.12.1995 को दिन गुरूवार को एक साधारण परिवार में, जो कि बिहार राज्य के माँ जानकी का जन्म स्थान सीतामढ़ी जनपद के रामनगरा गाँव के निवासी रामनाथ प्रसाद के पुत्र के रूप में हुआ। मेरे जन्म के पश्चात् मेरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि घर में एक विशेष बच्चे के रूप में जन्मा, विशेष का तात्पर्य यह है कि उस समय समान्य बच्चों की तुलना में मेरा सिर बड़ा तथा हाथ-पैर छोटे-छोटे के साथ उन मांसपेशियों पर कई सारे गांठे थे जिसे प्रतीत होता था कि यह बच्चा छोटे कद का होगा। पर दुर्भाग्य यह हुआ कि गाँव के क्षेत्र में अगर विशेष बच्चें का जन्म होता है चाहे वह दिव्यांग हो अथवा कद से छोटा उन्हें तथा उनके परिवार को अपमान, तिरस्कार सहन करना पड़ता है। उनमें से हम एक थे जो शारीरिक रूप अक्षम व्यक्ति था पर मानसिक रूप से नही। समय की गति तेजी से बढ़ी लगभग 3 साल मै अपने पैरों से चल नही पाया था, इसका कारण यह था कि मेरे शरीर का वजन अधिक...

मूँछ पदारथ सिंह ने बसाया था जलालाबाद

  जनपद बिजनौर के अन्तर्गत नजीबाबाद तहसील में नगरपालिका पंचायत जलालाबाद स्थित है। फिल्म जगत में प्रसिद्ध लेखक अख़्तरउल ईमान की भी यही जन्मभूमि है। अख़्तरउल ईमान ने अनेक सफल फिल्मों के डायलाग लिखे हैं। कहा जाता है कि जलालाबाद को मुगल शासनकाल में मूँछ पदारथ सिंह ने बसाया था। उस समय तक नजीबाबाद का कोई अस्तित्व भी नहीं था। बाद में इसी जलालाबाद को मुरादाबाद जिले का परगना भी बनाया गया। लेखक योगेन्द्रपाल शास्त्री अपनी पुस्तक 'क्षत्रिय जातियों को उत्थान-पतन' में लिखते हैं-   जिस समय मुगलसम्राट अकबर अपने समकालीन राजाओं और राज्यों को रौंदता-कुचलता हुआ बढ़ता चला जा रहा था। उस समय उच्चाकांक्षाओं से प्रेरित होकर जिंद राज्य में गोहाना के समीपस्थ रामरायपुर ग्राम को छोड़ कर कुछ काकराणा वंशी जाट अपने बसरू सिंह नेता के नेतृत्व में देहली की ओर चल निकले। वह बहादुरगढ़ में आ बसे। यहँा इन्होंने अपने प्रतिद्वन्दी भट्टी राजपूतों से बदला लेने के लिए शाही सेना की सेवाएँ स्वीकार कर लीं। दूल्हा भट्टी की कमान में लड़ने वाली सेनाओं के साथ युद्धग्रस्त रह कर इन्होंने अपनी राजरसिकता से अपने वंश की प्रतिष्ठा को ब...