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Showing posts from January, 2021

युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही लॉकडाउन : एक अनकही दास्ताँ

कोरोना काल में जहां समूचे विश्व समुदाय के लोग अपने-अपने घरों में सिमट कर बैठे थे वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो घर बैठकर भी अपने कार्य को पूरी तन्मयता पूर्वक कर रहे थे।  मार्च महीने से भारत में लॉकडाउन हो गया उस दौरान सरकार के प्रतिदिन नए दिशानिर्देश आ रहे थे, विश्व स्वास्थ्य संगठन से रोज नई डरावनी जानकारियां आमजन के बीच पहुँच रही थीं। कोविड-19 नाम के इस वायरस का कब खात्मा होगा इसके बारे में कोई भी स्वास्थ्य संगठन या किसी भी देश की सरकार कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थी। इस वैश्विक महामारी के चलते प्रवासियों का पलायन अनवरत जारी था, बहुतेरों लोगों की दो वक्त की रोटियां तक इस वैश्विक महामारी ने छीन ली थी। पूरे मानव समाज को इस वैश्विक महामारी की वजह से हर तरह का नुकसान उठाना पड़ रहा था। समूचे विश्व में बस कयास की लगाए जा सकते थे कि आगे भविष्य में क्या होगा? सबको अपना भविष्य धुँधला ही नज़र आ रहा था एवं सब लोग हैरान तथा परेशान थे। आने वाले वर्षों में लोग इस वैश्विक महामारी को भूल नहीं पाएंगे एवं इसके बारे में आने वाली पीढियां जानना चाहेंगी लेकिन उन्हें सटीक जानकारी तभी मिल सकेगी जब लॉकडाउन एवं को

जल की अशुद्धता पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख

-अरविंद जयतिलक  यह उचित है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने नदियों में बढ़ते प्रदूषण और उससे लोगों की सेहत पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि साफ पर्यावरण और प्रदूषण रहित जल व्यक्ति का मौलिक अधिकार है और इसे उपलब्ध कराना कल्याणकारी राज्य का संवैधानिक उत्तरदायित्व है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि संविधान का अनुच्छेद-21 जीवन का अधिकार देता है और इस अधिकार में गरिमा के साथ जीवन जीने और प्रदूषण रहित जल का अधिकार शामिल है। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 47 और 48 में जन स्वास्थ्य ठीक करना और पर्यावरण संरक्षित करना राज्यों का दायित्व है। साथ ही प्रत्येक नागरिक का भी कर्तव्य है कि प्रकृति जैसे वन, नदी, झील और जंगली जानवरों का संरक्षण व रक्षा करे। गौर करें तो अदालत ने नदियों की सफाई से लेकर प्रकृति व पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकारों के साथ-नागरिकों के लिए भी आवश्यक कहा है। उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस एसए बोबडे, एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमणियम की बेंच ने यह टिप्पणी दिल्ली जल बोर्ड की हरियाणा से आ रहे पानी में प्रदूष