ज्योत्सना भारती कालिंदी सुंदर और प्रतिभा सम्पन्न तो थी ही, एक अच्छी वकील भी थी। उसके विवाह को अभी कुछ ही समय हुआ था कि उसकी चाची सास लखनऊ से उसके पास कुछ दिन रहने के लिए आ गईं। चाची जी बहुत ही नेक और समझदार महिला थीं। उन्होंने आते ही अपनी पसंद और नापसंद के बारे में कालिंदी को सब कुछ बता दिया था। साथ ही ये भी बता दिया कि वो कितने दिन तक रुकने वाली हैं। चाची जी का प्रोग्राम सुनकर उसे कुछ परेशानी तो महसूस हुई मगर उसने बड़ी ही चतुरता से स्वयं को संभाल लिया। असल मे उसकी परेशानी का मुख्य कारण चाची जी नही थीं बल्कि ये था कि उसको न तो घर का कोई कार्य आता था और न ही सीखने में रुचि थी। ऐसे में वो चाची जी की सेवा और नित नई फरमाइशें कैसे पूरी करेगी। चाची जी को उसके पास आए तीन दिन हो गए थे परंतु न तो उसके पास उनके साथ बैठने का समय था और न ही बात करने की फुर्सत। घर में फुल टाइम नौकरानी थी जो सारा घर संभालती थी। कालिंदी को तो आॅफिस और फोन से ही समय नही मिलता था। अतः जो चीज नौकरानी नहीं बना पाती थी वो बाहर से आॅर्डर कर दी जाती थी। जैसा खाना बन जाता था वैसा ही सबको खाना पड़ता था। चाची जी को उसका बनाया हु