अक्षि त्यागी
जीविका की योजना बनाना बताता है कि हमें जीवन में क्या करना है और हम क्या कर रहे हैं? जीविका का चयन एक कुंजी का कार्य करता है। कोई व्यक्ति अपने बारे में विश्लेषण करके उचित निर्णय ले सकता है। जीविका का चुनाव हमारा भविष्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाँवों के अधिकांश लोग अपनी आजीविका कृषि या हस्तशिल्प से अर्जित करते हैं। सीमित कृषि भूमि के कारण रोजगार की तलाश में लोग कस्बों और शहरों का रुख कर रहे हैं लेकिन आवश्यक योग्यता के अभाव में कई बार उन्हें रोजगार पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। सरकार इन समस्याओं को दूर करने के लिए नई कृषि तकनीकों के प्रयोग द्वारा उसी भूमि से उत्पादन की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ गाँव के भीतर या समीप ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय कृषक नीति का शुभारंभ कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय द्वारा सितंबर 2007 में किया गया। इस नीति का लक्ष्य किसानों की शुद्ध आय में बढ़ोत्तरी करना और उन्हें उनकी फसलों का अच्छा मूल्य दिलाना है। सरकार भूमि और जल सुविधाओं के विकास के लिए काम कर रही है। इस नीति के तहत मंत्रालय के पास किसानों के लाभ के लिए बहुत से कार्यक्रम और योजनाएं हैं। इनमें से कुछ योजनाएं किसानों को प्रत्यक्ष और कुछ अन्य अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्रदान करती हैं। बीज उपचार अभियान के द्वारा सरकार उपचारित बीज किसानों को उपलब्ध कराती है। ये उपचारित बीज अधिक उपज तो देते ही हैं साथ ही बीमारियों और कीटों के खिलाफ संघर्ष करने की क्षमता भी इनमें अधिक होती है। इस योजना में रुचि रखने वाले किसान अपने प्रदेश के संपर्क स्थल के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सरकार कृषि आधारित व्यवसाय के द्वारा आय प्राप्त करने के लिए किसानों द्वारा गठित सहकारी समितियों को अनुदान प्रदान करती है। अनुदान के लिए लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। अपनी फसलों की कीटों से सुरक्षा करने के लिए समन्वित कीट प्रबंधन योजना की सहायता ली जा सकती है। फसल को होने वाली क्षति से किसानों की रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना प्रारंभ की गई है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, समेकित पोषक तत्व प्रबंधन, बीज ग्राम योजना, राष्ट्रीय वाटरशेड विकास परियोजना, वर्षापोषित क्षेत्र के लिए, कृषि में सूचना के उपयोग को प्रोत्साहन, प्रशिक्षण, परीक्षण और प्रदर्शन के माध्यम से कृषि यंत्रीकरण का विस्तार और सुदृढ़ीकरण, ग्रामीण विकास, पशुपालन आदि योजनाएं भी हैं।
भूमिहीन मजदूरों, लघु और सीमांत किसानों और महिलाओं को रोजगार प्रदान करने तथा उनकी पारिवारिक आय बढ़ाने में पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन महत्वपूर्ण योगदान देता है। राष्ट्रीय कृषक नीति के माध्यम से इन मुद्दों के समाधान की परिकल्पना की गई है। चलाई जा रही कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं- केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं, ग्रामीण पशुधन स्वास्थ्य, राष्ट्रीय पशु तथा भैंस प्रजनन योजना, दाने और चारे के विकास के लिए राज्यों को सहायता, पशुधन गणना, मुख्य पशुधन उत्पाद के आकलन हेतु समन्वित नमूना सर्वेक्षण योजना, पशु स्वास्थ्य निदेशालय, पशु रोग रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, केंद्रीय पशु प्रजनन फार्म, चारा फसलों की जांच के लिए केंद्रीय मिनीकिट जांच कार्यक्रम, केंद्रीय कुक्कुट विकास संस्थान, चारा उत्पादन और प्रदर्शन हेतु क्षेत्रीय स्टेशन आदि तथा केंद्र प्रायोजित योजनाएं, गहन डेयरी विकास कार्यक्रम, गुणवत्तापूर्ण एवं स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा, सहकारी समितियों को सहायता आदि।
बीजों, कृषि मशीनों तथा भूमि की खरीदी के लिए तथा अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किसानों को साख की जरूरत होती है। साहूकारों के शिकंजे मे फंसने से बचने से अच्छा है कि सरकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदान की जा रही साख सुविधाओं का लाभ उठाया जाए। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ;नाबार्डद्ध कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए काम करने वाला सबसे बड़ा बैंक है। विभिन्न केंद्रीय बैंकों द्वारा किसानों और ग्रामीणों को उपलब्ध कराए जा रहे विभिन्न प्रकार के )णों के बारे में जानकारी। अल्पावधि की जरुरतों को पूरा करने के लिए किसानों को साख उपलब्ध कराने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना चालू की गई है।
आपदाएं और दुर्घटनाएं किसी भी समय हो सकती हैं। इनके कारण जीवन और आजीविका के साधन अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। इनसे उबरने में ग्रामीण भागों को लंबा समय लग जाता है। सरकार ने ऐसे किसी खतरे से राहत के लिए इन क्षेत्रों के लिए विशेष योजनाओं का निर्माण किया है। ये योजनाएं विशेष रूप से इन क्षेत्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई हैं। डाक जीवन बीमा और कृषि बीमा योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों की खास जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। डाक विभाग ने पांच जीवन बीमा योजनाएं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रारंभ की हैं। ये योजनाएं ग्रामीण क्षेत्र की बीमा आवश्यकताओं को काफी हद तक पूरा करती हैं। ये बीमा योजनाएं हैं- ग्राम संतोष ;बंदोबस्ती आश्वासनद्ध, ग्राम सुरक्षा ;जीवन भर का आश्वासनद्ध, ग्राम सुविधा ;परिवर्तनीय जीवन भर का आश्वासनद्ध, ग्राम सुमंगल ;प्रत्याशित बंदोबस्ती बीमाद्ध, ग्राम प्रिय ;10 वर्षीय आरपीएलआईद्ध। कृषि के क्षेत्र में जोखिम प्रबंधन के एक भाग के रूप में लागू की जा रही एक केंद्रीय योजना है। यह प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोग की वजह से फसलों को हानि पहुँचने की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह योजना सभी प्रकार के किसानों के लिए उपलब्ध है, भले ही उनकी जोत का आकार कुछ भी क्यों न हो। इस बीमा योजना के तहत ऐसी सभी फसलें अनाज, जौ और दालें, तिलहन और वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें आदि सम्मिलित की गई हैं, जिनकी पैदावार के संबंध में पिछले कुछ साल के आंकड़े उपलब्ध हैं। प्रीमियम दर 1.5 प्रतिशत और 3.5 प्रतिशत के मध्य ;बीमा राशि काद्ध खाद्य और तिलहनी फसलों के लिए होता है। इस योजना के तहत वर्तमान में प्रीमियम में 10 प्रतिशत की सब्सिडी छोटे और सीमांत किसानों के लिए उपलब्ध है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायतीराज और खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने सरस आजीविका मेला 2018 का उद्घाटन करते हुए कहा था कि आजीविका मिशन ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बड़ा सामाजिक आर्थिक परिवर्तन ला रहा है। सरस आजीविका मेला ग्रामीण महिला उत्पादकों को प्रत्यक्ष विपणन प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराने का प्रयास है, ताकि ग्रामीण महिला उत्पादक बिना किसी बिचैलिए के अपने उत्पादों का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें।
संदर्भ
1. राष्ट्रीय पोर्टल विषयवस्तु प्रबंधन दल, द्वारा समीक्षित 11-03-2011
2- https://hi.wikipedia.org
3- http://performindia.com
4- https://khabar.ndtv.com/news/india
5-https://rural.nic.in/hi
6- http://pib.nic.in
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