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सबसे प्यारी संस्कृति हमारी


अमन कुमार


भारत की संस्कृति महान है और इसका इतिहास गौरवशाली है। यहाँ के रीति-रिवाज, भाषाएँ और परंपराएँ परस्पर विविधताओं के बावजूद एकता स्थापित करती हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख जैसे अनेक धर्मों की जन्मभूमि होने का गौरव भारत को प्राप्त है। भारतीय संस्कृति को जानने से पहले संस्कृति शब्द को समझने का प्रयास करते हैं। 'संस्कृति' संस्कृत भाषा की धातु 'कृ' (करना) से बना है। 'कृ' धातु से तीन शब्द बनते हैं 'प्रकृति' (मूल स्थिति), 'संस्कृति' (परिष्कृत स्थिति) और 'विकृति' ;अवनति स्थितिद्ध। जब 'प्रकृत' या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह 'संस्कृत' हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो 'विकृत' हो जाता है। इस प्रकार संस्कृति का अर्थ है - उत्तम स्थिति। 
रीति-रिवाज, रहन-सहन, आचार-विचार, अनुसंधान आदि से मनुष्य पशुओं से अलग दिखता है। यही सभ्यता और संस्कृति है। सभ्यता भौतिक सुखों की प्रतीक होती है और संस्कृति मानसिक समृद्धि की प्रतीक होती है। मानसिक उन्नति ही उत्तम संस्कृति का कारण बनती है। जिसमें धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का दर्शन होता है। 
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के शब्दों में - 'संस्कृति जीवन की उन अवस्थाओं का नाम है, जो मनुष्य के अंदर व्यवहार, लगन और विवेक पैदा करती है। यह मनुष्यों के व्यवहारों को निश्चित करती है, उनके जीवन के आदर्श और सिद्धांतों को प्रकाश प्रदान करती है। '
पं. जवाहरलाल नेहरू ने विचार प्रकट किए हैं कि - 'संस्कृति का अर्थ मनुष्य का आंतरिक विकास और उसकी नैतिक उन्नति है, पारंपरिक सदव्यवहार है और एक-दूसरे को समझने की शक्ति है।'
सत्यकेतु विद्यालंकर ने लिखा है - 'मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग कर कर्म के क्षेत्र में जो सृजन करता है, उसको संस्कृति कहते हैं।'
रामधारी सिंह दिनकर के अनुसार - 'संस्कृति मानव जीवन में उसी तरह व्यापत है, जिस प्रकार फूलों में सुगंध और दूध में मक्खन। इसका निर्माण एक या दो दिन में नहीं होता, युग-युगांतर में संस्कृति निर्मित होती है।'
संस्कृति और सभ्यता दोनों शब्द प्रायः पर्याय के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं। परंतु दोनों में भिन्नता है, दोनों के अर्थ अलग हैं। संस्कृति व्यक्ति और समाज में निहित संस्कारों से है जिसका वास मानस है। जबकि सभ्यता क्षेत्र व्यक्ति और समाज के बाह्य स्वरूप में है। 'सभ्य' का शाब्दिक अर्थ है, 'जो सभा में सम्मिलित होने योग्य हो'। इसलिए, सभ्यता ऐसे सभ्य व्यक्ति और समाज के सामूहिक स्वरूप को आकार देती है। 
हमारे देश में बोली जाने वाली भाषाओं की बड़ी संख्या ने यहाँ की संस्कृति और पारंपरिक विविधता को सुदृढ़ बनाया है। यहाँ दो प्रमुख भाषा संबंधी परिवार हैं - आर्य भाषाएं और द्रविण भाषाएं, इनमें पहली भाषा के परिवार मुख्यतः भारत के उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में हैं जबकि दूसरा भाषा परिवार दक्षिणी भाग में। भारत में धर्म विभिन्नता भी है। भारत हिंदू बाहुल्य होते हुए भी सभी धर्मों का सम्मान करता है। सिख, जैन और  बौद्ध भारत में जनमे हैं। इस्लाम, ईसाई, पारसी, यहूदी और बहाई धर्मों के मानने वाले लोग भी काफी मात्रा में यहाँ रहते हैं। भारत में जाति व्यवस्था बड़ी प्रबल है। जाति के आधार पर चार प्रमुख विभाजन हैं- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। विभिन्न धर्म और जातियों के कारण परंपराओं की विभिन्नता स्पष्ट देखने को मिल जाती है। गाय और गाय के दूध का महत्वपूर्ण स्थान है। सुबह के खाने से पहले इन्हें भोग लगाना शुभ माना जाता है। 
नमस्ते या नमस्कार या नमस्कारम् अथवा प्रणाम भारतीय उपमहाद्वीप में अभिनंदन या अभिवादन करने के सामान्य तरीके हैं। 
विभिन्न धर्मों के त्योहारों पर सार्वजनिक छुट्टियां होती हैं। तीन राष्ट्रीय अवकाश  हैं, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती। लोकप्रिय धार्मिक त्यौहार में हिंदुओं की दिवाली, गणेश चतुर्थी, होली, नवरात्रि, रक्षाबंधन और दशहरा के अलावा संक्रांति, पोंगल और ओणम हैं। कुंभ का मेला प्रति 12 साल के बाद 4 अलग-अलग स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में लगता है, जिसमें करोड़ों हिंदू हिस्सा लेते हैं। कुछ त्योहार कई धर्मों द्वारा मनाया जाता है। हिंदुओं, सिखों और जैन समुदाय के लोगों द्वारा मनाई जाने वाली दिवाली और बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाई जाने वाली बुद्ध पूर्णिमा। इस्लामी त्यौहार ईद-उल-फित्र, ईद -उल-अजा और रमजान भी पूरे भारत के मुसलामानों द्वारा मनाए जाते हैं। भातीय व्यंजनों में मसालों और जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता है। भारतीय व्यंजन अलग-अलग क्षेत्र के साथ बदलते हैं। महिलाओं के लिए पारंपरिक भारतीय कपड़ों में शामिल हैं, साड़ी, सलवार कमीज और घाघरा चोली, धोती, लुंगी, और कुर्ता पुरुषों के पारंपरिक वस्त्र हैं। दक्षिण भारत के पुरुष सफेद रंग का लंबा चादरनुमा वस्त्र पहनते हैं जिसे अंग्रेजी में धोती और तमिल में वेष्टी कहा जाता है। धोती के ऊपर, पुरुष शर्ट, टी शर्ट या और कुछ भी पहनते हैं जबकि महिलाएं साड़ी पहनती हैं। बिंदी महिलाओं के शृंगार का हिस्सा है। लाल बिंदी और सिंदूर केवल शादीशुदा हिंदू महिलाओं द्वारा ही लगाई जाती है।
रामायण और महाभारत प्रसिद्ध माहाकाव्य हैं। भारतीय संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। पंडित शारंगदेव कृत संगीत 'रत्नाकर' ग्रंथ में भारतीय संगीत की परिभाषा 'गीतम, वादयम्' तथा 'नृत्यं त्रयम संगीत मुच्यते' कहा गया है। गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। भारत की सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व है। संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा कही जाती है। भारतीय नृत्य में भी लोक और शास्त्रीय रूपों में कई विविधताएं हैं। लोक नृत्यों में पंजाब का भांगड़ा, असम का बिहू, झारखंड और उड़ीसा का छाऊ, राजस्थान का घूमर, गुजरात का डांडिया और गरबा, कर्नाटक का यक्षगान, महाराष्ट्र का लावनी और गोवा का देखननी शामिल हैं। भारत की संगीत, नृत्य और नाटक की राष्ट्रीय अकादमी द्वारा आठ नृत्य रूपों, कई कथा रूपों और पौराणिक तत्व वाले कई रूपकों शास्त्रीय नृत्य का दर्जा दिया गया है। ये हैं- तमिलनाडु का भरतनाट्यम, उत्तर प्रदेश का कथक, केरल का कथककली और मोहिनीअट्टम, आंध्र प्रदेश का कुच्चीपुड़ी, मणिपुर का मणिपुरी, उड़ीसा का ओडिसी और असम का सत्तिरया।
रवीन्द्रनाथ टैगोर को आधुनिक साहित्य का प्रतिनिधि माना जाता है। रामधारी सिंह दिनकर, सुब्रमनियम भारती, राहुल सांकृत्यायन, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, माइकल मधुसूदन दत्त, मुंशी प्रेमचंद, देवकी नंदन खत्री, गिरीश कर्नड, अज्ञेय, निर्मल वर्मा, कमलेश्वर, वैकोम मुहम्मद बशीर,  महाश्वेता देवी, अमृता प्रीतम, कुर्रतुलएन हैदर आदि भारत के प्रसिद्ध लेखक हुए हैं। भारत में ऋग्वेद के समय से कविता के साथ-साथ गद्य रचनाओं की परंपरा है। कविता प्रायः संगीत की परंपराओं से संबद्ध होती है और कविताओं का एक बड़ा भाग धार्मिक आंदोलनों पर आधारित होता है या उनसे जुड़ा होता है। स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रवाद और अहिंसा को प्रोत्साहन के लिए कविता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  भारतीय संगीत और नृत्य के साथ-साथ भारतीय नाटक और थियेटर का भी लंबा इतिहास है। कालिदास के नाटक शाकुंतलम् और मेघदूत पुराने नाटक हैं, जिनके बाद भास के नाटक आए। 
भारतीय चित्रकला की सबसे शुरूआती कृतियाँ पूर्व ऐतिहासिक काल में शैलचित्रों के रूप में थीं। अजंता, बाघ, एलोरा गुफा चित्र और मंदिरों में बने चित्र प्रकृति प्रेम को प्रमाणित करते हैं। सबसे पहली और मध्यकालीन कला, हिंदू, बौद्ध या जैन हैं। रंगे हुए आटे से बनी रंगोली दक्षिण भारतीय घरों के दरवाजे पर आम तौर पर देखी जा सकती है। मधुबनी चित्रकला, मैसूर चित्रकला, राजपूत चित्रकला, तंजौर चित्रकला और मुगल चित्रकला, भारतीय कला की उल्लेखनीय विधाएं हैं। भारत की पहली मूर्तिकला के नमूने सिंधु घाटी सभ्यता के जमाने के हैं। उत्तर पश्चिम में भारतीय, शास्त्रीय हेलोनिस्टिक या ग्रीक-रोमन प्रभाव का मिश्रण भी मिलता है। मौर्य और गुप्त साम्राज्य तथा उनके उत्तराधिकारियों के शासनकाल में, कई बौद्ध वास्तुशिल्प परिसर, जैसे कि अजंता, एलोरा और सांची स्तूप बनाया गया। बाद में, दक्षिण भारत में कई हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ। बेलूर का चेन्नाकेसवा मंदिर, सोमनाथ का केसव मंदिर, तंजावुर का ब्रिहदीस्वर मंदिर, कोणार्क का सूर्य मंदिर, श्रीरंगम का श्री रंगनाथस्वामी मंदिर और भट्टीप्रोलू का बुद्ध स्तूप, अंगकोरवट, बोरोबुदूर और अन्य बौद्ध और हिंदू मंदिर जो कि पारंपरिक भारतीय धार्मिक भवनों की शैली में बने हैं। श्री स्वामीनारायण मंदिर, वडताल, गुजरात पश्चिम से इस्लाम के आगमन के साथ ही, भारतीय वास्तुकला ने भी नए धर्म की परंपरा को अपनाया। इस दौर में फतेहपुर सीकरी, ताजमहल, गोल गुंबद, कुतुब मीनार दिल्ली का लाल किला आदि इमारतें तथा यूरोपीय शैलियों में विक्टोरिया मेमोरियल, विक्टोरिया टर्मिनस इसके उदाहरण हैं। 
हाॅकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, मुख्य रूप से क्रिकेट भारत का सबसे लोकप्रिय खेल है, बल्कि न केवल भारत बल्कि पूरे उपमहाद्वीप में ये खेल मनोरंजन और पेशेवर तौर पर फल फूल रहा है। पारंपरिक स्वदेशी खेलों में शामिल हैं कबड्डी और गिल्ली-डंडा, जो देश के अधिकांश भागों में खेला जाता है। शतरंज, सांप और सीढ़ी, ताश, पोलो, कैरम, बैडमिंटन भी लोकप्रिय हैं। शतरंज का आविष्कार भारत में किया गया था। प्राचीन भारत में रथ दौड़, तीरंदाजी, घुड़सवारी, सैन्य रणनीति, कुश्ती, भारोत्तोलन, शिकार, तैराकी और दौड़ प्रतियोगिताएं होती थीं। 
भारत के विचारकों ने विश्वभर में प्रसिद्धि प्राप्त की। स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए और वहाँ उन्होंने विश्व धर्म संसद में वक्तव्य देकर सबको प्रभावित किया। महात्मा गाँधी, रवींद्रनाथ टैगोर आदि ने राजनीतिक दर्शन के नए रूप को जन्म दिया जिसस आधुनिक भारत और उदारवाद बना।
संदर्भ
1. संस्कृति के चार अध्याय, रामधारी सिंह दिनकर
2. हिंदू सभ्यता, डाॅ. राधाकुमुद मुखर्जी
3. प्राचीन भारत का इतिहास
4- https://hi.wikipedia.org
5- http://bharatdiscovery.org
6- Meaning of culture- Cambridge English Dictionary
7- https://hindi.mapsofindia.com/culture


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