धनीराम कुदरत भी दुनिया में नए-नए करिश्में करती रहती है किसी को दुनिया भर की नियामतों से नवाज़ देती है तो वहीं कुछ को मूलभूत ज़रूरतों से भी महरूम कर देती है। दरअसल कुदरत पर किसी का कोई जोर नहीं है लेकिन कुदरत की इस बेरहमी का शिकार कुछ मासूम और लाचार बच्चों के लिये रोशनी की किरण बना है प्रेमधाम आश्रम। प्रेमधाम आश्रम उन अनाथ या शारीरिक, मानसिक रूप से दिव्यांग बालकों का है, जिनके सगे-संबंधियों या माता-पिता ने इस बेरहम दुनिया में अकेला छोड़ दिया। यहाँ उन दिव्यांगों को अपनों से ज्यादा प्यार मिलता है। शारीरिक व मानसिक रूप से निःशक्त बच्चों की तमाम जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेकर यहाँ के प्रत्येक सेवक व कर्मचारी इनकी पढ़ाई-लिखाई, सेहत, इलाज आदि कार्य को पूर्ण करते हैं। साथ ही इनको संस्कार भी दिए जा रहे हैं। यहाँ के सेवकों के साथ-साथ दूसरे अन्य सेवक भी सेवा करते हैं, दान देते हैं। इस आश्रम में दूर-दूर से लोग सेवा के लिए आते हैं। प्रेमधाम आश्रम में फादर शीबू व फादर बेनी को देखकर लगता है कि वह दुनिया के सबसे अधिक सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं क्योंकि ये दोनों उस कार्य को कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें चुन