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प्रेमधाम: आश्रम और उसकी शिक्षा सेवा (प्रेमधाम आश्रम नजीबाबाद के संदर्भ में)

धनीराम कुदरत भी दुनिया में नए-नए करिश्में करती रहती है किसी को दुनिया भर की नियामतों से नवाज़ देती है तो वहीं कुछ को मूलभूत ज़रूरतों से भी महरूम कर देती है। दरअसल कुदरत पर किसी का कोई जोर नहीं है लेकिन कुदरत की इस बेरहमी का शिकार कुछ मासूम और लाचार बच्चों के लिये रोशनी की किरण बना है प्रेमधाम आश्रम। प्रेमधाम आश्रम उन अनाथ या शारीरिक, मानसिक रूप से दिव्यांग बालकों का है, जिनके सगे-संबंधियों या माता-पिता ने इस बेरहम दुनिया में अकेला छोड़ दिया। यहाँ उन दिव्यांगों को अपनों से ज्यादा प्यार मिलता है। शारीरिक व मानसिक रूप से निःशक्त बच्चों की तमाम जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेकर यहाँ के प्रत्येक सेवक व कर्मचारी इनकी पढ़ाई-लिखाई, सेहत, इलाज आदि कार्य को पूर्ण करते हैं। साथ ही इनको संस्कार भी दिए जा रहे हैं। यहाँ के सेवकों के साथ-साथ दूसरे अन्य सेवक भी सेवा करते हैं, दान देते हैं। इस आश्रम में दूर-दूर से लोग सेवा के लिए आते हैं। प्रेमधाम आश्रम में फादर शीबू व फादर बेनी को देखकर लगता है कि वह दुनिया के सबसे अधिक सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं क्योंकि ये दोनों उस कार्य को कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें चुन

शोध प्रविधि Research Methodology

Prof. Deoshankar Navin साभार https://deoshankarnavin.blogspot.com/2017/01/blog-post.html   शोध विषय विशेष के बारे में बोधपूर्ण तथ्यान्वेषण एवं यथासम्भव प्रभूत सामग्री संकलित कर सूक्ष्मतर विश्लेषण-विवेचन और नए तथ्यों, नए सिद्धान्तों के उद्घाटन की प्रक्रिया अथवा कार्य शोध कहलाता है। शोध के लिए प्रयुक्त अन्य हिन्दी पर्याय हैं-- अनुसन्धान, गवेषणा, खोज, अन्वेषण, मीमांसा, अनुशीलन, परिशीलन, आलोचना, रिसर्च आदि। अंग्रेजी में जिसे लोग डिस्कवरी ऑफ फैक्ट्स कहते हैं, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी (सन् 1969) स्थूल अर्थों में उसी नवीन और विस्मृत तत्त्वों के अनुसन्धान को शोध कहते हैं। पर सूक्ष्म अर्थ में वे इसे ज्ञात साहित्य के पूनर्मूल्यांकन और नई व्याख्याओं का सूचक मानते हैं। दरअसल सार्थक जीवन की समझ एवं समय-समय पर उस समझ का पूनर्मूल्यांकन, नवीनीकरण का नाम ज्ञान है, और ज्ञान की सीमा का विस्तार शोध कहलाता है। पी.वी.यंग (सन् 1966) के अनुसार नवीन तथ्यों की खोज, प्राचीन तथ्यों की पुष्टि, तथ्यों की क्रमबद्धता, पारस्परिक सम्बन्धों तथा कारणात्मक व्याख्याओं के अध्ययन की व्यवस्थित विधि को शोध कहते हैं। एडवर्ड

शोध की परिभाषा, प्रकार,चरण पर आधारित क्लास नोट्स

  रामशंकर विद्यार्थी साभार http://ravindrakumarthakur.blogspot.com/2016/09/blog-post.html शोध : अर्थ एवं परिभाषा   शोध (Research) •      शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक प्रयत्न से तथ्यों का संकलन कर सूक्ष्मग्राही एवं विवेचक बुद्धि से उसका अवलोकन- विश्‌लेषण करके नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है। •      रैडमैन और मोरी ने अपनी किताब  “दि रोमांस ऑफ रिसर्च” में शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है, कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं। •      एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश के अनुसार- किसी भी ज्ञान की शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच- पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है। •      स्पार और स्वेन्सन ने शोध को परिभाषित करते हुए अपनी पुस्तक में लिखा है कि कोई भी विद्वतापूर्ण शोध ही सत्य के लिए, तथ्यों के लिए, निश्चितताओं के लिए अन्चेषण है।  •      वहीं लुण्डबर्ग ने शोध को परिभाषित करते हुए लिखा है, कि अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण,साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विष

कलिदास का संक्षिप्त इतिहास [लोक-कथाओं के आधार पर]

श्रीलाल शुक्ल   कालिदास का जन्म एक गड़रिए के घर में हुआ था। उनके पिता मूर्ख थे। उपन्यासकार नागार्जुन ने जिस वीरता से अपने पिता के विषय में ऐसा ही तथ्य स्वीकार किया है, वह वीरता कालिदास में न थी। अत: उन्होंने इस विषय में कुछ नहीं बताया। फिर भी सभी जानते है कि कालिदास के पिता मूर्ख थे। वे भेड़ चराते थे। फलत: कालिदास भी मूर्ख हुए और भेड़ चराने लगे। कभी-कभी गायें भी चराते थे। पर वे बाँसुरी नहीं बजाते थे। उनमें ईश्वरदत्त मौलिकता की कमी न थी। उसका उपयोग उन्होंने अपनी उपमाओं में किया है। यह सभी जानते हैं। जब वे मूर्ख थे, तब वे मौलिकता के सहारे एक पेड़ की डाल पर बैठ गए और उसे उल्टी ओर से काटने लगे। इस प्रतिभा के चमत्कार को वररुचि पंडित ने देखा। वे प्रभावित हुए। उनके राजा विक्रम की लड़की विद्या परम विदुषी थी। विद्या का संपर्क इस मौलिक प्रतिभा से करा के वररुचि ने लोकोपकार करना चाहा। कालिदास की मूर्खता का थोड़ा प्रयोग उन्होंने राजा विक्रम और विद्या पर बारी-बारी से किया। परिणाम यह हुआ कि कालिदास का विद्या से विवाह हो गया। विद्वता से मौलिकता मिल गई। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि वररुचि ने विद्या पर क्र