बालस्वरूप राही ज़्यादातर लोग होते हैं महज़ होने के लिए। बहुत कम लोग होते हैं जिनका होना महसूस किया जाता है। रामावतार त्यागी उन्हीं चंद लोगों में से हैं जो जहां मौजूद होते हैं वहां पूरी तरह मौजूद होते हैं। उपस्थिति की ख़ास अदा मेरे विचार से त्यागी जी की एक प्रमुख पहचान है। यह हो ही नहीं सकता कि वे किसी सभा, समारोह में जाएं और वहां कोई संस्मरण न छोड़ आएं। हां, वह संस्मरण कैसा भी हो सकता है। वह उन्हें प्रशंसा का पात्र भी बनवा सकता है और ऐतराज़ का भी। वे अपने दोस्तों और आलोचकों पर समान रूप से मेहरबान रहते हैं। वे दोनों ही के लिए समान रूप से चर्चा की सामग्री मुहैया करते रहते हैं। उनके संपर्क में आने वाले किसी व्यक्ति को शायद ही कभी यह शिक़ायत भी रही हो कि उनके बारे में कहने के लिए उसके पास कुछ नहीं है। त्यागी जी में बहुत कुछ ऐसा है जो परिष्कृत होने से, सांचे में ढल कर सुगढ़ बनने से इंकार करता रहा है। हालात ने उन्हें हमवार करने की बड़ी कोशिशें कीं लेकिन उनका बांका तेवर आज तक बरक़रार है। उनकी उपस्थिति उनकी कविता में भी बड़ी तेज़ी के साथ अनुभव की जा सकती है। यों, यह बात आज के फैशन के ख़िलाफ़ है। ...