अमन कुमार त्यागी
रामावतार त्यागी पर जितना जानने का प्रयास किया जाए उतना कम ही है। उनका एक प्रसिद्ध गीत है -
एक हसरत थी कि आंचल का मुझे प्यार मिले।
मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले।।
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है?
तेरे दामन में बता मौत से ज़्यादा क्या है?
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है?
इस गीत को बचपन से सुनता आ रहा हूं। कितनी ही बार इस गीत को सुनो मन ही नहीं भरता है। वेदना का यह गीत घोर निराशा से आशा की ओर ले जाता है। काल की बात करें तो यह वह समय था जब सिनेमा में निराशा भरे जीवन में साहस का संचार करने वाले कई गीत लिखे गए थे, जिन्होंने दर्शकों और श्रोताओं में नया उत्साह उत्पन्न किया। फ़िल्म ‘ज़िंदगी और तूफ़ान’ (1975) के इस गीत में विशेष बात यह रही कि इसमें कवि रामावतार त्यागी ने जीवन की उस सच्चाई का प्रदर्शन किया है, जिसे स्वीकारने से तत्कालीन समाज डरता रहा। यह विशेष प्रकार का और निडर प्रयोग था। उन्होंने समाज के तथाकथित सभ्य समाज की आंखों में आंखें डाल कर बात की। अवैध संतान पैदा करने वालों और फिर उस संतान को सभ्य समाज द्वारा ठोकरे मारने वालों को कटघरे में खड़ा कर दिया। क़ौम के अय्याश अगर अवैध संबंध बनाते हैं और संतान जन्म ले लेती है तो उसमें ऐसी संतान का दोष क्या है? इसके बावजूद ऐसी संतान किससे शिक़ायत करे? इसलिए वह अपनी ज़िंदगी को चुनौती मानकर स्वीकार करता है।
‘तेरे दामन में बता मौत से ज़्यादा क्या है।’
वह मृत्यु से तनिक भी डरता नहीं है। कवि रामावतार त्यागी ने सिनेमा के लिए लिखे गीत ‘ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है’ से काफी प्रसिद्धि बटोरी परंतु हिंदी साहित्य के समीक्षकों ने उनके साथ न्याय नहीं किया।
कवि रामावतार त्यागी के समय के साहित्य की बात करें तो सन् 1936 ई. के आस-पास कविता में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शोषण से मुक्ति का स्वर अभिव्यक्त होने लगा था। इसी नवीन धारा को प्रगतिवाद नाम दिया गया। जिसका प्रारंभ पंत व निराला ने किया। बाद में भगवतीचरण वर्मा, गोपाल सिंह ‘नेपाली’, शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ ने प्रगतिवादी रचनाओं का भंडार भरा। इसी यात्रा पर गोपालदास ‘नीरज’, रामावतार त्यागी, रामानंद दोषी, रमानाथ अवस्थी, वीरेन्द्र मिश्र, गजानन माधव मुक्तिबोध, केदारनाथ अग्रवाल, नागार्जुन, त्रिलोचन जैसे कवि भी आगे बढ़े। इन कवियों की रचनाओं में बौद्धिक चिंतन की प्रधानता रही है। यह कविता व्यक्तिवाद, कलावाद के कारण चर्चा में रहीं। मध्यवर्गीय व्यक्तियों की मानसिक कुंठाओं और अपने अंतर्मुखी होने के कारण अधिकांश कविताएं साधारण पाठक की समझ में नहीं आती थीं। परंतु कवि रामावतार त्यागी ने जिस शैली को अपनाया वह आम पाठक की समझ में खूब आती थी। वह शहर में रहते हुए और शहरी ज़िंदगी से दुःखी होकर कहते हैं-
मैं तो तोड़ मोड़ के बंधन
अपने गांव चला जाऊंगा
तुम आकर्षक संबंधों का,
आंचल बुनते रह जाओगे।
कवि रामावतार त्यागी की लगभग पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उनकी कुछ कविताएं एनसीईआरटी के हिंदी पाठ्यक्रम में भी शामिल की गईं। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा के कक्षा आठ के पाठ्यक्रम में भी उनकी ‘समर्पण’ नामक कविता शामिल है। कवि सम्मेलनों में त्यागी जी स्वरचित कविताओं को लय-ताल के साथ गाते थे। ‘ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है’ गीत को तो मंचों पर उन्होंने सबसे अधिक बार गाया। त्यागी जी ने नवभारत टाइम्स में ‘क्राइम रिपोर्टर’ से लेकर साप्ताहिक स्तंभ लेखन तक का काम किया। यही नहीं बल्कि उनके जीवन की ख़ास बात यह भी रही कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राजीव गांधी और संजय गांधी को हिंदी वाचन के लिए निजी शिक्षक भी नियुक्त किया।
ऐसे यशस्वी साहित्यकार रामावतार त्यागी का जन्म जनपद मुरादाबाद के अंतर्गत सम्भल (वर्तमान में जिला है) तहसील के कुरकावली ग्राम में त्यागी (भूमिहार ब्राह्मण) परिवार में 17 मार्च, 1925 को (क्षेमचन्द्र सुमन जी के अनुसार 8 जुलाई, 1925) हुआ। उनकी माता का नाम भागीरथी और पिता का नाम उदल सिंह त्यागी था। त्यागी जी की प्रारंभिक शिक्षा 10 साल की उम्र में शुरू हुई। जबकि उनकी शादी 1941 में 16 साल की उम्र में ही हो गई थी। उन्होंने 1944 में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की थी। त्यागी जी ने मुरादाबाद के चंदौसी डिग्री काॅलेज से स्नातक किया और हिंदू विश्वविद्यालय तथा दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। घर की रूढ़िवादिता से विद्रोह कर त्यागी ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की। अंत में दिल्ली आकर इन्होंने वियोगी हरि और महावीर अधिकारी के साथ संपादन कार्य किया।
त्यागी पीड़ा के कवि हैं। इनकी शब्द-योजना सरल तथा अनुभूति गहरी है। इनका कविता संग्रह ‘आठवां स्वर’ पुरस्कृत है। रामावतार त्यागी हिंदी गीत की दुनिया में एक उल्लेखनीय, प्रतिष्ठित, सम्मानित कवि के रूप में तो विख्यात रहे ही, अपने स्वभाव, खुरदुरे व्यक्तित्व एवं स्वाभिमानी मिज़ाज के कारण विवादास्पद भी रहे। जिस आयोजन में त्यागी जी मौजूद हों, उस पर विशिष्ट हो जाना निश्चित था। जीवन की उदास शामों, कठिन चुनौतियों को प्रखर अभिव्यक्ति देने वाले रामावतार त्यागी अपने गहरे अवसादपूर्ण गीतों में भी अभिव्यक्ति के ऐसे आयाम प्रस्तुत करते थे जो अन्यत्र दुर्लभ हैं।
उन्होंने राजीव गांधी (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री) को व्यक्तिगत रूप से हिंदी भाषा की कक्षाएं दी थी। उन्होंने हिंदी फ़िल्म ज़िंदगी और तूफ़ान (1975) के लिए ‘ज़िंदगी और रात तेरे लिए है’ नामक गीत की रचना की। उन्होंने नवभारत टाइम्स के लिए एक क्राइम रिपोर्टर के रूप में काम किया। उन्होंने साप्ताहिक लेख ‘मलूक दास की क़लम से’ भी लिखा। यह महान कवि 12 अप्रैल सन 1985 को इस नश्वर दुनिया को छोड़ सदा के लिए चला गया।
वह देशप्रेमी कविताएं भी खूब लिखते थे। उनकी ‘समर्पण’ कविता विभिन्न पाठ्यक्रम में शामिल की गई है।
मन समर्पित तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूं देश की धरती तुझे कुछ और भी दूं
कविता का पाठ करते-करते मन में जो देशभावना उमड़ती है वह देखने लायक होती है।
पत्र-पत्रिकाओं में भी रामावतार त्यागी की रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। लेखक शेरजंग गर्ग ने रामावतार त्यागी पर एक पुस्तक - ‘हमारे लोकप्रिय गीतकार: रामावतार त्यागी’ लिखी है जो वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित है। एक और पुस्तक क्षेमचंद्र सुमन ने भी ‘रामावतार त्यागी’ (हिंदी के कवि) प्रकाशित कराई थी। इसके अलावा एक और पुस्तक कैलाश वाजपेयी ने ‘रामावतार त्यागी’ लिखी है जो उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ से प्रकाशित हुई है।
साहित्यकार रामावतार त्यागी की पुस्तकें हैं- 1. नया ख़ून (काव्य)- 1953, पुष्प प्रकाशन, दिल्ली, 2. गाता हुआ दर्द (काव्य), 3. गीत बोलते हैं (काव्य), 4. मैं दिल्ली हूं (काव्य)- 1959, बंसल एण्ड कं., दिल्ली।(नवीन पुरस्कार प्राप्त), 5. गुलाब और बबूल वन (काव्य), 1973 आत्माराम एंड सन्स, 6. समाधान (उपन्यास)-1954 आत्माराम एण्ड संस, दिल्ली, 7. चरित्रहीन केे पत्र (उपन्यास)- 1957 आर्गंस पब्लिशिंग कं., दिल्ली, 8. आठवां स्वर (काव्य)- 1958 प्रकाशन - फ्रैंक ब्रदर्स, चांदनी चैक, दिल्ली ;1959 में उ. प्र., 9. सपने महक उठे (काव्य), 10. दिल्ली जो एक शहर था, 11. राम झरोखा, 12. राष्ट्रीय एकता की कहानी, 13. महाकवि कालीदास रचित मेघदूत का काव्यानुवाद (काव्य), 14. गीत सप्तक-इक्कीस गीत (काव्य), 15. लहु के चंद क़तरे (ग़ज़ल संग्रह)
संपादन - 1. राजधानी के कवि -1952 (निर्माण प्रकाशन, दिल्ली), 2. समाज -1955, 3. प्रगीत -1959 (किताब महल प्रकाशन), 4. समाज कल्याण, 5. साप्ताहिक हिंदुस्तान, 6. नवभारत टाइम्स
रामावतार त्यागी जिस गांव में पले-बढ़े उससे बहुत प्यार करते रहे। यहां तक कि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में भी अपने गांव की बात करना नहीं भूले। उन्होंने जितना प्रेम अपने गांव को किया उससे कहीं अधिक अपने देश को भी किया। प्रकृति प्रेम उनके साहित्य में स्पष्ट झलकता है तो सामाजिक ताने-बाने को भी उन्होंने अपने साहित्य की विषयवस्तु बनाया है। किंतु दुःख का विषय है कि रामावतार त्यागी जैसे महान साहित्यकार और उनके साहित्य पर अभी आवश्यक प्रकाश नहीं डाला गया है। ऐसे में रामावतार त्यागी के व्यक्तित्व एवं उनके कृतित्व पर विषद अध्ययन की आवश्यकता है।
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