अशोक स्नेही
तू ही मेरा प्यार सोनिया
होंठ सुर्ख़ टेसू दहके से
नयन मस्त भौंरे बहके से
अंग-अंग चहके-चहके से
चंचल भौंह-दुधारी चितवन-
गालों पर अंगार सोनिया।।
तू ही मेरा प्यार सोनिया
पीठ-पाँव नाजुक कदली से
कुन्तल सावन की बदली से
मुक्त हास चंचल तितली से
दो उरोज दो अल्पनाओं से-
ऊपर से ये हार सोनिया।।
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