Skip to main content

आकाशबाणी


प्रतापनारायण मिश्र


 


हमारे मिष्‍टर अंगरेजीबाज और उसके गुरु गौरंडाचार्य्य में यह एक बुरा आरजा है कि जो बात उनकी समझ में नहीं आती उसे, वाहियात है (ओह नांसेंस), कह के उड़ा देते हैं। नहीं तो हमारे शास्‍त्रकारों की कोई बात व्‍यर्थ नहीं है। बहुत छोटी-छोटी बातें विचार देखिए। पयश्राव के समय यज्ञोपवीत कान में चढ़ाना इसलिए लिखा है कि लटक के भीग न जाय। तिनका तोड़ने का निषेध किया है, सो इसलिए कि नख में प्रवि‍ष्‍ट होके दुःख न दे। दाँत से नख काटना भी इसी से वर्जित है कि जिंदा नाखून कट जाएगा तो डॉक्‍टर साहब की खुशामद करनी पड़ेगी।


अस्‍तु यह रामरसरा फिर कभी छेड़ेंगे, आज हम इतना कहा चाहते हैं कि पुराणों में बहुधा लिखा है कि अमुक अकाशबाणी हुई। इस पर हमारे प्‍यारे बाबू साहबों का, 'यह नहीं होने सकता' इत्‍यादि कहना व्‍यर्थ है। इस्‍से उनकी अनसमझी प्रगट होती है। क्‍योंकि आकाश अर्थात पोपालन के बिना तो कोई शब्‍द हो ही नहीं सकता। इस रीति से वचन मात्र को आकाशबाणी कह सकते हैं, और सुनिए, चराचर में व्‍याप्‍त होने के कारण ईश्‍वर को आकाश से एक देशी उपमा दी जा सकती है।


बेद में भी 'खम् ब्रह्म' लिखा है और प्रत्‍येक आस्तिक का मंतव्‍य है कि ईश्‍वर की प्रेरणा बिना कुछ हो ही नहीं सकता। पत्ता कहीं हुक्‍म बिना हिला है? तो संसार भर की बातें आकाशवत् परमात्‍मा की प्रेरित नहीं हैं तो क्‍या हैं? शब्‍द ब्रह्म और खम् ब्रह्म इन दोनों बातों का ठीक-ठीक समझने वाला आकाशबाणी से कैसे चकित होगा? यदि डियर सर (प्रिय महाशय) आस्तिक न हों तौ भी यों समझ सकते हैं कि हृदय का नाम आकाश है, क्‍योंकि वह कोई दृश्‍य वस्‍तु नहीं है, न तत्‍व सम्‍मेलन से बना है। एक विज्ञानी से किसी ने पूछा था कि हृदय क्‍या है - उसने उत्तर दिया - No matter अर्थात वह किसी वस्‍तु से बना नहीं है और यह तो प्रत्‍यक्ष ही है, यावत संकल्‍प विकल्‍प हैं सबका आकाश उसी में है।


हमारी भाषा कवियों के शिरोमुकुट गोस्‍वामी तुलसीदासजी ने भी हृदयाकाश माना है "हृदय अनुग्रह इंदु प्रकाशा।" इस वाक्‍य में यदि हृदय को आकाश न कहें तो दयारूपी चंद्रमा का प्रकाश कहाँ ठहरे? अतः हृदय में हर्ष शोक चिंतादि के समय जितनी तरंगे उठती हैं, सब आकाशबाणी (अवाजे गैब) हैं। यह तो हमारे यहाँ का मुहावरा है। समझदार के आगे कह सकते हैं कि अमुक पुरुष अपने प्रियतम के वियोग में महा शोकाकुल बैठा था इतने में उसे आकाशबाणी हुई कि रोने से कुछ न होगा। उस्‍के मिलने का यत्‍न करो। ठीक ऐसे ही अवसरों पर आकाशबाणी होना लिखा है। जिसे कुछ भी बुद्धि संचालन का अभ्‍यास है वह भलीभाँति समझ समता है। हमारे उर्दू के कवि भी बहुधा किसी पुस्‍तक के व किसी स्‍मरणीय घटना के सम्‍वत् लिखने (कितए तारीख) में कहा करते हैं, 'हातिफे गैब ने कहा नागाह काले साहब की सुर्खरू पाया, फिक्रे तारीख जब हुई दरपेश।' 'गैब से मुझको यह निंदा आई' इत्‍यादि एक नहीं लाखों उदाहरणों से सिद्ध है कि एशिया के ग्रंथकार मात्र अंत-करण को आकस्मातिक, गति को आकाशबाणी कहते हैं।


किसी देशभाषा के आर्ष प्रयोग के बिना समझे, बिना किसी विद्वान से पूछे, हँस देना मूर्खता की पहिचान है। यदि कोई अंगरेज कहे 'Belly has no eyes' तो हमारे स्‍कूल के छात्र भी हँस सकते हैं कि कौन नहीं जानता कि पेट में आँखें नहीं होतीं। साहब बहादुर ने कौन बड़ी विलक्षण बात कही। यह तो एक बच्‍चा भी जानता है। पर हाँ जब उसे समझा दिया जाएगा कि उक्‍त बात का यह अर्थ है कि गरजमंद को कुछ नहीं सूझता तब किसी को ठट्टा मारने का ठौर नहीं रहेगा। इसी भाँति हमारे यहाँ की प्रत्‍येक बात का अभ्‍यांतरिक अर्थ जाने बिना कसी को अपनी सम्‍मति देने का अधिकार नहीं है।


कुछ समझ में आया? अब न हमारे पूर्वजों के कथन पर कहना कि 'बेउकूफ थे, कहीं ऐसा भी हो सकता है' नहीं तो हम भी कहेंगे कि '…है। जानै न बूझै कठौता लैकै जूझै।' हि हि हि हि!


Comments

Popular posts from this blog

नजीबाबाद और नवाब नजीबुद्दौला

अमन कुमार त्यागी मुरादाबाद-सहारनपुर रेल मार्ग पर एक रेलवे जंकशन है - नजीबाबाद। जब भी आप इस रेलमार्ग पर यात्रा कर रहे हों तब नजीबाबाद के पूर्व में लगभग तीन किलोमीटर और रेलवे लाइन के उत्तर में लगभग 200 मीटर दूरी पर एक विशाल किला देख सकते हैं। सुल्ताना डाकू के नाम से मशहूर यह किला रहस्य-रोमांच की जीति जागती मिसाल है। अगर आपने यह किला देखा नहीं है, तो सदा के लिए यह रहस्य आपके मन में बना रहेगा कि एक डाकू ने इतना बड़ा किला कैसे बनवाया ? और यदि आपसे कहा जाए कि यह किला किसी डाकू ने नही, बल्कि एक नवाब ने बनवाया था। तब भी आप विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति आपको बताएगा कि इस किले में कभी सुल्ताना नामक डाकू रहा करता था। बात सच भी है। भाँतू जाति का यह डाकू काफी समय तक इस किले में रहा। तब बिजनौर, मुरादाबाद जनपद का हिस्सा होता था और यहां यंग साहब नाम के एक पुलिस कप्तान तैनात थे, जिन्होंने सुल्ताना डाकू को काँठ के समीपवर्ती रामगंगा खादर क्षेत्र से गिरफ्तार कर इस किले में बसाने का प्रयास किया था। उन दिनों देश में आजादी के लिए देशवासी लालायित थे। जगह-जगह अंगे्रजों से लड़ाइयां चल रही थीं। ब...

महावीर त्यागी

 महावीर त्यागी का जन्म 31 दिसंबर 1899 को मुरादाबाद जनपद के ढबारसी गांव में हुआ था। इनके पिता शिवनाथ सिंह जी गांव रतनगढ़ जिला बिजनौर के एक प्रसिद्ध जमींदार थे, इनकी माता जानकी देवी जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। मेरठ में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान प्रथम विश्व युद्ध के समय वो सेना की इमरजेंसी कमीशन में भर्ती हो गए और उनकी तैनाती पर्सिया (अब ईरान) में कर दी गयी। आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी जी से प्रभावित थे। स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी एक अनूठे इंसान थे वे 1919 में जलियावाला बाग हत्या कांड के बाद ब्रिटिश सेना के इमरजेंसी कमीशन से त्यागपत्र दे दिया। सेना ने उनका कोर्ट मार्शल कर दिया, उसके बाद वो गांधी जी के साथ देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए। अंग्रेजों द्वारा वो 11 बार गिरफ्तार किए गए, एक किसान आंदोलन के दौरान जब उनको गिरफ्तार करके यातनाएं दी गईं तो गांधीजी ने इसके लिए अंग्रेजों की आलोचना यंग इंडिया में लेख लिखकर की। उनका विवाह 26 जुलाई 1925 को बिजनौर जनपद के गांव राजपुर नवादा के जमींदार परिवार की बेटी शर्मदा त्यागी से हुआ था, इनकी तीन पुत्रियां हैं। इनकी पत्नी श...

प्रभावी जनसंख्या नीति की दरकार

  अरविंद जयतिलक आज की तारीख में भारत चीन को पछाड़कर दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन गया है। चीन की आबादी 142.57 करोड़ है जबकि भारत की आबादी 142.86 करोड़ हो गई है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के आंकड़ों के मुताबिक चीन के मुकाबले अब भारत में 30 लाख लोग अधिक हैं। यह पहली बार है जब भारत जनसंख्या सूची में शीर्ष पायदान पर है। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के राज्य केरल और पंजाब में बुजुर्गों की संख्या अधिक है वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी सर्वाधिक है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी आने वाले तीन दशकों तक बढ़ती रहेगी और उसके बाद घटनी शुरु होगी। यानि 2050 तक भारत की आबादी 166 करोड़ के पार पहुंच सकता है। उधर, चीन की आबादी घटकर 131.7 करोड़ रह जाएगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट के मुताबिक जब दुनिया भर में जनसंख्या बढ़ने की गति धीमी पड़ रही है वहीं भारत में साल भर में आबादी 1.56 फीसद बढ़ी है। भारत में जनसंख्या वृद्धि इसलिए है कि नवजात, शिशु और बाल मृत्यु दर में गिरावट आयी है। एक आंकड़े के मुताबिक 2012 में एक वर्ष के कम उम्र के बच्चों की मौत की दर 42 ...