Monday, December 2, 2019

ढलती उम्र का प्रेम


अर्चना राज


 


ढलती उम्र का प्रेम


कभी बहुत गाढ़ा 
कभी सेब के रस जैसा,


कभी बुरांश 
कभी वोगेनविलिया के फूलों जैसा,


कभी जड़-तने
तो कभी पोखर की मछलियों जैसा,


ढलती उम्र में भी होता है प्रेम !!


 


क़तरा-क़तरा दर्द से साभार 


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