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मां


निधि भंडारे


 


राहुल ने अचानक घडी देखी, ६ बज गये थे, काम बहुत बाकी रह गया था| तभी उसकी नज़र रानू पे गई|


अरे रानू, क्या बात है? आज कैसे इतनी देर तक रुक गई? सतीश इंतजार कर रह होगा, राहुल ने पूछा|
उडा लो मजाक तुम, तुम्हारा वक्त आयेगा तब देखेंगे, रानू हस्ते हुई बोली.


तभी सखाराम, ऑफिस का पिओन आया और बोला


राहुल सर आपको बड़े साब ने तुरंत ऑफिस में बुलाया है,
रानू ने जैसे ही सुना हँसकर बोली, और उडाओ मजाक, अब देखो तुम्हारी क्लास लेंगे संजय सर|


राहुल मुस्कुराया और संजय सर के केबिन की तरफ चला गया|


मे आय कम इन सर?  राहुल ने पूछा|
यस माय डिअर, कम इन, संजय सर मुस्कुराते हुए बोले, “राहुल, सच में ऑफिस में तुम्हारे लोग हैं इसलिए हम इतना आगे बढे है|
थैंक यू सर, बस आशीर्वाद है, राहुल बोला|
एक जरुरी काम के लिए बुलाया है तुम्हें, संजय सर बोले|
हुकुम कीजिये सर, राहुल बोला|
कल रात तुमको कुछ जरुरी डॉक्यूमेंटस लेकर बिलासपुर निकलना होगा, वही पास एक गाँव हैं, करेली, वहां के पंच का साईन लाना है और ये काम सिर्फ तुम ही कर सकते हो, संजय सर बोले|
थोड़ी तकलीफ होगी तुम्हें क्योकि ट्रेन सिर्फ बिलासपुर तक जाति है| फिर वहां से तुम्हें करेली के लिए बस पकडनी पड़ेगी, संजय आगे बोले|
कोई बात नहीं सर, आय विल मैनेज, राहुल बोला|
तभी संजय ने ड्रावर में से कुछ पेपर निकाले और राहुल को दिये| साथ ही एक परचा दिया और बोला, इसमें पूरा पता है और सरपंच का फोन नंबर भी है| ट्रेन का टिकिट भी तैयार है तुम्हारा| कल रात को ७ बजे तुम्हारी गाड़ी है| जो सुबह 5 बजे बिलासपुर पहुंचेगी, संजय बोले|
जी सर, राहुल बोला|


कुछ परेशानी हुई तो फोन कर लेना मुझे, संजय मुस्कुराते हुए बोला, “अब जाओ और आराम करो, कल ऑफिस मत आना, संजय आगे बोले|
सर, मैं निकलू, राहुल ने पूछा|
यस राहुल, टेक केयर, संजय बोले|


राहुल संजय के केबिन से बाहर आया तो देखा रानू वही बाहर खडी उसका इंतजार कर रही थी|


राहुल को देखते ही उसने पूछा, ऑल फाइन?


हां रे, सब ठीक, राहुल मुस्कुराता हुआ बोला|


 


मैं डर गई की इतनी देर क्या हो रहा है, रानू चिंतित होते हुए बोली|


कल मुझे छुट्टी, राहुल मुस्कुराता हुआ बोला|
क्यूँ छुट्टी तुम्हे? ऐसे कौन से झंडे लगा दिये तुमने? रानू ने पूछा|


बॉस का फेवरेट हूं ना, राहुल रानू को चिडाता हुआ बोला|


जोक्स अपार्ट, रानू मुझे बिलासपुर जाना है कुछ ऑफिस का काम है, एक दिन में ही आ जाऊंगा डोन्ट वरी, राहुल मुस्कुराते हुए बोला|


ओके, टेक केयर, रानू बोली|


चलो निकलते हैं, लेट हुआ, राहुल बोला|


हाँ बाय, रानू बोली|
बाय, राहुल बोला और बैग लेकर निकल गया


घर पहुँचते पहुँचते 10 बज गया. बहुत अंधेरा था| 5 दिन में अमावस्या थी| राहुल के मन में सिर्फ बिलासपुर जाने का खयाल था| घर के दरवाजे पर खाने का डब्बा रखा था| राहुल ने दरवाजा खोला और डब्बा लेकर अन्दर आया|
मुह हाथ धोकर, खाना खाया और मोबाइल पर करेली ढूढने लगा, तभी उसका ध्यान टिकेट की तरफ गया| वो उठा जेब से टिकट निकाला और टाइम देखा| ठीक ७ बजे ट्रेन मैं स्टेशन से छुट ती है|
मन बडा बैचेन होरहा था| राहुल ने पानी पिया| दरवाजा खोला और बाहर टहलने निकल गया. तभी मोबाइल बजा तो देखा रानू का फोन था|


हेलो मिस्टर बिलासपुर, रानू हस्ते हुए बोली|


हेलो रानू, पहुंच गई घर, राहुल ने पूछा|


हाँ सतीष ने ड्रॉप किया, रानू बोली|


कल तो तुम आ नहीं रहे ऑफिस, हैना, “रानू ने आगे पूछा|


हां, कल तैयारी करूँगा थोड़ी, राहुल बोला, “पता करता हूं वहां से बस के टाइम”, राहुल आगे बोला|


चलो then, आराम करती हूं, टेक केयर, गुड नाईट, रानू बोली|


गुड नाईट, राहुल बोला|



राहुल ने फोन रख दिया,


राहुल अब बिलासपुर का ना सोचकर रानू के बारे में सोचने लगा|


कितना खयाल रखती है रानू उसका, सतीष कितना किस्मतवाला है जो रानू उसे मिली, राहुल ने सोचा|


चलते चलते वो वापिस घर आ गया| आकर लाइट बंद की और बिस्तर पर लेट गया| ना जाने कब उसकी आँख लग गई|


सूरज सर पर आ गया था| आखों पर रोशनी पड़ी तो राहुल की नींद खुली| घडी देखी तो 9 बज रह था| राहुल चौक कर उठा|


हें भगवान, मैं भी ना कितना आलसी हो गया हूं, राहुल खुदसे ही बडबडाया|


जल्दी से राहुल नहाकर तैयार हुआ| भगवान को नमस्कार किया और नाश्ता करने निकल गया| मन ही मन सोच रहा था की आज तो पोहे ख़त्म होगये होंगे| जैसे ही होटल पंहुचा तो देखा गंगू टेबल साफ़ करवा रहा था|



राहुल को देखते ही गंगू बोला, अरे साब, आज आप इतनी देर से? ऑफिस की छुट्टी क्या?

वही समझ, राहुल मुस्कुराते हुए बोला, अच्छा सुन, क्या है खाने को? बहुत भूख लगी है, राहुल ने पूछा|
साब, इडली सांभर खायेंगे या? गंगू ने पूछा|
चलेगा, ले आ पर गरम गरम, राहुल बोला|



राहुल वहीँ कुर्सी पर बैठ गया और मोबाइल में मेसेज देखने लगा.


तभी गंगू गरम गरम इडली लेकर आ गया|


साब पहले खा लीजिये फिर मोबाइल, गंगू बोला|
राहुल ने मुस्कुराते हुए मोबाइल बंद किया और खाने लगा|
इडली सांभर खाकर राहुल वापिस घर की तरफ निकल गया|


घर पहुचकर सोचा एक प्यांट शर्ट रख लूँ | एक ब्याग में प्यांट शर्ट रखकर राहुल बाझार चला गया| दो बिस्कुट पैकेट ले आया|

पता ही नहीं चला कब दिन निकल गया| तभी राहुल का फोन बजा| देखातों रानू का फोन था|


हेलो मि.बिलासपुर, रानू हस्ते हुए बोली|


हेलो मैडम, बोलिए, राहुल ने जवाब दिया.


निकल गये? रानू ने पूछा|
अरे बस दरवाजा ही बंद करने जा रहा था, घर के बाहर खड़ा हूं, राहुल बोला|
ओके, निकल जाओ नहीं तो लेट होगा, रानू बोली|


हैप्पी जर्नी, रानू फिर बोली|

थैंक यू , राहुल बोला और फोन रख दिया|


राहुल स्टेशन के लिए निकल गया| 10 मिनट में स्टेशन पहुच गया| प्लेटफार्म 3 पर गाडी आने वाली थी|


राहुल ने घडी देखी तो केवल 10 मिनिट बचे थे|


चारो तरफ बहुत लोग थे,


लोगों की हलचल बढ़ गई| तभी गाडी आकर रुकी| राहुल ने कोच नंबर देखा और 3 नंबर कोच में चढ़ गया|


अन्दर गया तो देखा वहां सिर्फ तीन लोग बैठे थे| उसने सीट नंबर देखा| बैग रखा और बैठ गया|

तभी सामने वाले आदमी ने पूछा


क्यूँ भैया, कहाँ जा रहे हो?


बिलासपुर, राहुल ने जवाब दिया|


अरे वाह हम भी वही जा रहे हैं| वो बोला|



जी अच्चा, राहुल मुस्कुराते हुए बोला|
तभी ट्रेन चल पड़ी| सभी आराम से अपनी जगह पर बैठने लगे| राहुल ने देखा गाड़ी में ज्यादा भीढ़ नहीं थी और वही स्टेशन पर मानो मेला लगा हो|
तभी सामने वाले ने पूछा, बिलासपुर के ही हो क्या?
राहुल बोला, नहीं, काम से जा रहा हूं|


तभी वो बोला, “हम तो वहीँ से हैं|


राहुल फिर बोला, मुझे बिलासपुर से आगे जाना है करेली|


करेली? उसने पूछा


अरे वहां के लिए तो केवल एक बस जाति है सुबह 7 बजे और वापिसी 7 बजे, वो आदमी राहुल से बोला|



पर ये गाड़ी तो 5 बजे पहुचती है ना? राहुल ने पूछा|


हाँ पहुचती तो है, वो बोला|


तभी राहुल सोच में पड गया| सोचने लगा की 5 बजे पहुचकर वो करेगा क्या? एक तो इतनी ठंड ऊपर से नयी जगह|


युही समय बीत गया| सभी सो गये| पर नींद मानो राहुल से कोसों दूर थी| रात भर बस ना जाने किस सोच में डूबा राहा|

ना जाने कब 5 बज गये। गाडी उस राईट टाइम थी। गाडी रुकी| वो आदमी भी उतर गया| जैसे ही राहुल नीचे उतरा देखा बिलकुल शांति थी| कुछ ही लोग थे जो उसके साथ उतरे थे, वो भी सब अपना अपना निकल गये|



राहुल ने इधर उधर देखा| घडी देखी तो 5.10 ही हुआ था| सोचा 2 घंटे क्या करूँ|


ठंड भी बहुत थी| तभी देखा दूर एक दुकान खुली थी| बैग लिए राहुल उस तरफ चल पड़ा|


दुकान के नजदीक पंहुचा तो देखा, एक छोटी सी लाइट जली थी और अन्दर नीचे कोई कम्बल ओढकर सोया था|


राहुल ने धीमे से आवाज लगायी, कोई है?


तभी खस्ते हुए एक आदमी उठा| राहुल ने देखा एक बुढा आदमी धीरे से उठा|


कौन है भाई? उसने खास्ते हुए पूछा|


बाबा, मुझे चाय मिलेगी क्या? राहुल ने पूछा|
हाँ बेटे, रुको| अंदर आओ यहां बैठो, वौठ्ते हुए बोला|
नहीं बाबा, ठीक है यहीं, बस चाय पिला दीजिये, राहुल बोला,
उठकर उसने एक पतिला लिया, दूध डाला, अदरक लिया और वही छोटा सा स्टोव था उसपर चडा दिया|

और बेटा कहाँ से आ रहे हो? बिलासपुर में कहाँ जाना है ? उसने पूछा|


बाबा, बिलासपुर में नहीं, करेली में काम है, राहुल बोला|

बेटा, करेली की बस 7 बजे है, तुम इतनी देर कहाँ खड़े रहोगे, अंदर आ जाओ और यहां बैठो, उसने बड़े प्यार से राहुल से कहा|

राहुल ने जुटे उतारे और अंदर चला गया| वही बाबा के बिस्तर पर बैठ गया| गरम गरम लगा, उसे थोड़ा सुकून मिला|
चाय पीते पीते दोनों की बातें होती रही| राहुल को लगा मानो ना जाने कबसे वो बाबा को जानता है|
तभी 6.40 हो गया| अंधेरा छट चूका था| राहुल ने बाबा से पूछा, बाबा, बस कहाँ से पकडनी पड़ेगी?

बाबा, बोले बस स्टेशन के बाहर ही मिल जाएगी, एक ही बस है जो वहां जाति है और वही बस शाम को वापिस आती है , वैसे तुम्हारी वापिसी कबकी है? उन्होंने आगे पूछा|
बाबा आज रात की ट्रेन है| राहुल बोला|



चलो फिर आ जाओ शाम को मिलते हैं बेटा, वो बोले|

राहुल ने जेब से 50 रुपये निकाले और बाबा को देने लगा| बाबा बोले, “ बाबा भी बोलते हो और पैसे भी देते हो बेटा|


नहीं बाबा, प्यार से दे रहा हूं बेटा समझकर| राहुल बोला और उनके सामने पैसे रख दिये और पैर पढ़ लिए|


बाबा की आँख भर आयी।


बोले,येसे बूढ़े को आजतक किसी ने इतनी इज्ज़त नहीं दी है।

राहुल बोला, बाबा शाम को मिलते हैं, बोलकर राहुल वहा से निकल गया|


स्टेशन के बाहर आते ही देखा तो सामने ही बस खडी थी| राहुल ने एक आदमी से जो वही खड़ा था, पुछा, भैय्या बस करेली जाएगी क्या?
हा जी, यही है, वो बोला।
राहुल तुरंत उसमे बैठ गया|


5 मिनिट में वो बस निकल गई| पहली बार राहुल ऐसी बस में बैठा था| वो सोच रहा था की जिन्दगी में भी कैसे कैसे मोड आते हैं| वो बाबा का सोच रहा था की जिन्दगी में भी कैसे कैसे मोड आते है| उस उम्र में भी चाय की छोटी सी दुकान चलाकर अपना गुजरा करते है| फिर उसने सोचा, अरे मैंने तो बाबा से उनके परिवार का पूछा ही नहीं| फिर सोचा कोई नहीं शाम को पूछूँगा | ये सब सोचते सोचते न जाने कब राहुल की नींद लग गई |
तभी एकदम राहुल को झटका लगा, उसकी नींद खुली तो देखा बस रुक गई| घडी देखी तो 10 बजे थे| सभी गाड़ी से उतरने लगे| वो समझ गया करेली आ गया|


राहुल जैसे ही गाड़ी से उतरा अचनैक एक औरत फटी हुई सारी पहने हाथ में एक कपड़ा लिए सफ़ेद बीखरे बाल, उसकी तरफ दौडकर आयी और उसके गले से लग गई |


राहुल एकदम डर गया|


वो बोली, मुझे पता था तु अपनी माँ को लेने आएगा , सब बोलते थे तु कभी नहीं आयेगा, देख तु आ गया, वो बोले जा रही थी और राहुल उसको दूर करने में लगा था| 
अरे मुझे छोडिये, अलग होइए, कौन हो आप? राहुल बोला|


उन्होंने उस औरत का हाथ छोड़ दिया. तभी कुछ लोग आये और उस औरत को अलग करने लगे|


बोले, “साब, ये पागल बुढिया है, जो भी शहर से जवान लड़का उतरता है उसेही अपना बेटा समझती है और पीछे पड जाति है|


राहुल को अजीब सा लगा, तभी कुछ लोगों ने ज़बरदस्ती उस औरत को अलग कर दिया और राहुल से बोले की साब आप जाईये हम इसे संभाल लेंगे|



वो औरत जोर जोर से चिल्लाने लगी| बेटा मुझे छोड़कर मत जा, चल अपनी माँ के साथ, घर चल|
ना जाने अचानक राहुल को क्या हुआ और वो जोर से उन लोगोसे बोला, इन्हें छोड़ दीजिये.


जैसे ही उन लोगों ने उस बुढिया का हाथ छोडा वो दौड़कर आकर राहुल के सीने से लग गई| राहुल ने देखा वो बहुत घबराई थी| राहुल बोला, “मत डरो अब आपको कोई नहीं पकड़ेगा|
राहुल की बात सुनकर वो एकदम खुश हो गई और बोली, “तु घर चलेगा ना माँ के साथ?

राहुल ने बस हमी भर दि | उस औरत ने राहुल का हाथ थमा और एक गली की तरफ मुड गई| राहुल चुपचाप उसके साथ चलता गया| तभी वो एक छोटी सी झोपडी के आगे रुकी और बोली, “तुझे याद ना अपना घर?
राहुल ने फिर मुस्कुराकर हमी भर डी.
उस झोपडी का दरवाजा बहुत छोटा था| वो बुढिया अन्दर गई और राहुल को बोली, “आजा बेटा आजा,
राहुल झुककर अंदर गया| बुढिया वही नीचे बैठ गई और उसको भी बैठने को बोली| राहुल वही बैठ गया| तभी उस बुढिया ने एक डब्बा निकला. उसे खोला तो राहुल ने देखा उसमे कुछ बिस्कुट थे| वो बोली, तुझे भूख लगी ना बहुत?



राहुल इससे पहले कुछ बोल पाता, वो बुढिया राहुल को अपने हाथ से बिस्कुट खिलाने लगी.



राहुल कुछ ना बोल पाया और बिस्कुट खाने लगा| वो राहुल से सर पर हाथ घुमाती, कभी उसका माता चूमती, कभी बालाएं लेती| तभी राहुल बोला, आप नहीं खाओगी?


तु खा लेगा, माँ का पेट भर जायेगा| वो बोली |

अचानक राहुल को काम याद आया | उसने घड़ी देखी, देखा तो 1 बज गया था | उसे याद आया की उसे वापिस भी जाना है. वो धीरे से बोला , मैं ज़रा काम करने जाऊ?


वो बुढिया बोली, “ तु वापिस छोड़कर तो नहीं जायेगा? राहुल ने देखा उस बुढिया के आँखों में आंसू थे|


राहुल ने उसका हाथ पकड़ा और बोला, आप आराम कर लों मैं जाकर आता हूं| तभी उसने देखा वो बुढिया एकदम सो गई| मानो बहुत थकी हो| राहुल मुस्कुराकर और धीरे से झोपडी के बाहर निकल आया| बाहर आकर उसने एक आदमी से पूछा की पंचायत कहाँ है|
उसने बताया की कुछ ही दुरी पर सामने एक लाल रंग की ईमारत है वही| राहुल उस और चल दिया| 5 मिनिट में ही उसे लाल रंग की ईमारत दिखी| वही एक आदमी बैठा था| राहुल ने सरपंच के बारे में पूछा| वो आदमी उसको अन्दर ले गया| राहुल जैसे ही अन्दर गया देखा सामने एक पगड़ी पहने एक बुज़ुर्ग बैठे हैं| मन में सोचा कल से मुझे केवल बूढ़े लोग ही मिल रहे है | सोचा वापिस जाकर रानू हो बताऊंगा|
तभी राहुल ने नमस्कार बोला| कुछ देर बाते की| सरपंच के साईन लिए|


तभी सरपंच बोले, “खाना खाकर जाईयेगा| राहुल ने मना किया तो उन्होंने लस्सी बुलवाई | राहुल ने लस्सी पी और सरपंच से इजाजत ली| राहुल वापिसी के लिए निकला, जैसे ही राहुल कुछ दूर पंहुचा देखा बहुत भीड़ जमा थी| उसे लगा ना जाने क्या हुआ? अभी तक तो कुछ ही लोग दिख रहेथे गाँव में| तभी उसने एक से पूछा, भैया, क्या हुआ? इतनी भीड़ कैसी?

वो बोला, कुछ नहीं बाबूजी, वो पागल बुढिया थी इस गाँव में वो मर गई|
सुनते ही राहुल का दिल बैठ गया| वो अपने काम में सुबह का किस्सा मानो भूल गया था| तभी एक आदमी बोला, “ इसकी लाश का क्या करे ? इसका तो कोई नहीं था|


तभी दूसरा बोला, बेचारी उम्र भर अपने लड़के का इंतज़ार करते करते मर गई|
राहुल को एकदम सदमा लगा, उसके सामने मानो सुबह का सब आँखों के सामने आ गया| कैसे उस बुढिया ने उसको बिस्कुट खिलाया| वापिस अपने को बोला ना जाने कब राहुल की आँखों से आसू बहने लगे| तभी एक आदमी बोला, चलो लाश का क्रिया कर्म कर दे, बेचारी बुढिया|


ये सुनकर अचानक राहुल बोला, “रुको, इनका क्रियाकरम मै करूँगा, मै हू इनका बेटा| सभीने मुडकर राहुल की तरफ देखा|
पर बाबूजी, एक आदमी बोला.

पर वर कुछ नहीं, मै हूं इनका बेटा, राहुल बोला,


सभी गाँव वालोकी मदद से पूरी तैयारी की गई| राहुल ने उस बुढिया को अग्नि दि, फिर वही खड़े होकर हाथ जोड़कर नमस्कार किया और बोला, “जा माँ अलविदा , आपने जाते जाते मुझ अनाथ को माँ के प्यार का अहसास दिलाया. जिस माँ के प्यार के लिए मैं जीवन भर तरसा, वो प्यार आपने मुझे कुछ पल में ही दे दिया| जा माँ अलविदा, अगले जनम में आप ही मेरी माँ बनना| और राहुल की आँखों से आसूं की झड लग गई| एक अनाथ को माँ का प्यार मिल गया था और एक माँ को दुनिया छोड़ते वक्त उसके बेटे का प्यार|







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