Saturday, February 15, 2020

बाबा नागार्जुन को पढ़ते हुए


इन्द्रदेव भारती



भिखुआ उजरत लेके आया, बहुत दिनों के बाद
झोपड़िया ने दिया जलाया, बहुत दिनों के बाद


खाली डिब्बे और कनस्तर फूले नहीं समाये
नून, मिरच, घी, आटा आया, बहुत दिनों के बाद


हरिया हरी मिरच ले आया, धनिया, धनिया लाई
सिल ने बट्टे से पिसवाया, बहुत दिनों के बाद


चकला, बेलन, तवा, चीमटा खड़के बहुत दिनों में
चूल्हा चन्दरो ने सुलगाया, बहुत दिनों के बाद


फूल के कुप्पा हो गयी रोटी, दाल खुशी से उबली
भात ने चौके को महकाया, बहुत दिनों के बाद


काली कुतिया कूँ-कूँ करके आ बैठी है दुआरे
छक कर फ़ाक़ो ने फिर खाया, बहुत दिनों के बाद


दिन में होली, रात दीवाली, निर्धनिया की भैया
घर-भर ने त्योहार मनाया, बहुत दिनों के बाद



ए-3, आदर्श नगर, नजीबाबाद-246763 (बिजनौर) उप्र


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