Skip to main content

मुझको मत मरवाय री

 



गीतकार इन्द्रदेव भारती


 



कन्या भ्रूण  की  गुहार का 

ये गीत  'शोधादर्श' पत्रिका  

में प्रकाशित करने के लिये

संपादक श्री अमन  कुमार

त्यागी का हार्दिक आभार।

--------------

मुझको  मत  मरवाय  री ।

--------------

माँ !  मैं  तेरी  सोनचिरैया, 

मुझको  मत  मरवाय  री ।

काली गैया  जान  मुझे  तू,

प्राण - दान दिलवाय री ।

 

हायरी मैया,क्या-क्या दैया

जाने    मुझे   दबोचे   री ।

यहाँ-वहाँ से,जहाँ-तहाँ से,

काटे  है  री,.....नोचे  री ।

सहा न जावे,और तड़पावे

चीख़  निकलती जाय री ।

मुझको.................री ।।

 

यह कटी  री, उँगली मेरी,

कटा अँगूठा जड़  से  री ।

पंजा काटा, घुटना काटा,

टाँग कटी झट धड़ से री ।

माँ लंगड़ी ही,जी लूँगी री,

अब  तो  दे  रुकवाय री ।

मुझको.................री ।।

 

पेट भी  काटा, गुर्दा काटा,

आँत औ दिल झटके में री ।

कटी सुराही, सी गर्दन भी,

पड़े   फेफड़े  फट  के  री ।

नोने - नोने  हाथ  सलोने,

कटे   पड़े   छितराय  री ।

मुझको..................री ।।

 

आँख निकाली कमलकली सी

गुल - गुलाब से  होंठ  कटे ।

नाक कटी री,  तोते - जैसी,

एक-एक करके  कान कटे ।

जीभ कटी वो,माँ कहती जो,

कंठ  रहा......गुंगयाय  री ।

मुझको...................री ।।

 

पसली  तोड़ी, हसली  तोड़ी,

तोड़ी   रीढ़   की   हड्डी  री ।

कान्धे  तोड़े,   कूल्हे   तोड़े,

उड़ी  खुपड़िया  धज्जी री ।

फूट  रहे  रे,  ख़ून  के  धारे,

अंग - अंग   से   हाय  री ।

मुझको...................री ।।

 

पप्पी   लेती,   नहीं  अघाती,

जिसके  मखना  गालों  की ।

आज उसीकी खाल खींचली,

रेशमिया   से    बालों   की ।

उधड़े - उधड़े, माँस लोथड़े,

पड़े  -  पड़े   डकराय  री ।

मुझको....................री ।।

    

गीतकार इंद्रदेव भारती

"भरतीयम"   

ए-3, आदर्श नगर,

नजीबाबाद - 246763

( बिजनौर ) उ.प्र.

मो. 99 27 40 11 11


Comments

Popular posts from this blog

नजीबाबाद और नवाब नजीबुद्दौला

अमन कुमार त्यागी मुरादाबाद-सहारनपुर रेल मार्ग पर एक रेलवे जंकशन है - नजीबाबाद। जब भी आप इस रेलमार्ग पर यात्रा कर रहे हों तब नजीबाबाद के पूर्व में लगभग तीन किलोमीटर और रेलवे लाइन के उत्तर में लगभग 200 मीटर दूरी पर एक विशाल किला देख सकते हैं। सुल्ताना डाकू के नाम से मशहूर यह किला रहस्य-रोमांच की जीति जागती मिसाल है। अगर आपने यह किला देखा नहीं है, तो सदा के लिए यह रहस्य आपके मन में बना रहेगा कि एक डाकू ने इतना बड़ा किला कैसे बनवाया ? और यदि आपसे कहा जाए कि यह किला किसी डाकू ने नही, बल्कि एक नवाब ने बनवाया था। तब भी आप विश्वास नहीं करेंगे, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति आपको बताएगा कि इस किले में कभी सुल्ताना नामक डाकू रहा करता था। बात सच भी है। भाँतू जाति का यह डाकू काफी समय तक इस किले में रहा। तब बिजनौर, मुरादाबाद जनपद का हिस्सा होता था और यहां यंग साहब नाम के एक पुलिस कप्तान तैनात थे, जिन्होंने सुल्ताना डाकू को काँठ के समीपवर्ती रामगंगा खादर क्षेत्र से गिरफ्तार कर इस किले में बसाने का प्रयास किया था। उन दिनों देश में आजादी के लिए देशवासी लालायित थे। जगह-जगह अंगे्रजों से लड़ाइयां चल रही थीं। ब...

निर्मला पुतुल के काव्य में आदिवासी स्त्री

वंदना गुप्ता                                          समकालीन हिंदी कवयित्रियों में श्रीमती निर्मला पुतुल एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। आदिवासी जीवन का यथार्थ चित्रण करती उनकी रचनाएँ सुधीजनों में विशेष लोकप्रिय हैं। नारी उत्पीड़न, शोषण, अज्ञानता, अशिक्षा आदि अनेक विषयों पर उनकी लेखनी चली है। गगन गिल जी का कथन है - ''हमारे होने का यही रहस्यमय पक्ष है। जो हम नहीं हैं, उस न होने का अनुभव हमारे भीतर जाने कहाँ से आ जाता है? .... जख्म देखकर हम काँप क्यों उठते हैं? कौन हमें ठिठका देता है?''1 निर्मला जी के काव्य का अनुशीलन करते हुए मैं भी समाज के उसी जख्म और उसकी अनकही पीड़ा के दर्द से व्याकुल हुई। आदिवासी स्त्रियों की पीड़ा और विकास की रोशनी से सर्वथा अनभिज्ञ, उनके कठोर जीवन की त्रासदी से आहत हुई, ठिठकी और सोचने पर विवश हुई।  समाज द्वारा बनाए गए कारागारों से मुक्त होने तथा समाज में अपनी अस्मिता और अधिकारों के लिए नारी सदैव संघर्षरत रही है। सामाजिक दायित्वों का असह्य भार, अपेक्षाओं का विशाल पर्व...

महावीर त्यागी

 महावीर त्यागी का जन्म 31 दिसंबर 1899 को मुरादाबाद जनपद के ढबारसी गांव में हुआ था। इनके पिता शिवनाथ सिंह जी गांव रतनगढ़ जिला बिजनौर के एक प्रसिद्ध जमींदार थे, इनकी माता जानकी देवी जी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। मेरठ में शिक्षा प्राप्त करने के दौरान प्रथम विश्व युद्ध के समय वो सेना की इमरजेंसी कमीशन में भर्ती हो गए और उनकी तैनाती पर्सिया (अब ईरान) में कर दी गयी। आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी जी से प्रभावित थे। स्वतंत्रता सेनानी महावीर त्यागी एक अनूठे इंसान थे वे 1919 में जलियावाला बाग हत्या कांड के बाद ब्रिटिश सेना के इमरजेंसी कमीशन से त्यागपत्र दे दिया। सेना ने उनका कोर्ट मार्शल कर दिया, उसके बाद वो गांधी जी के साथ देश की आजादी के आंदोलन में कूद गए। अंग्रेजों द्वारा वो 11 बार गिरफ्तार किए गए, एक किसान आंदोलन के दौरान जब उनको गिरफ्तार करके यातनाएं दी गईं तो गांधीजी ने इसके लिए अंग्रेजों की आलोचना यंग इंडिया में लेख लिखकर की। उनका विवाह 26 जुलाई 1925 को बिजनौर जनपद के गांव राजपुर नवादा के जमींदार परिवार की बेटी शर्मदा त्यागी से हुआ था, इनकी तीन पुत्रियां हैं। इनकी पत्नी श...