Friday, May 15, 2020

ओ मेरे मनमीत



 

ज्योत्सना भारती

 

ओ मेरे मनमीत !

प्यार के गीत,

वही फिर गाना चाहती हूँ।

मधुर.....रजनी,

सजी....सजनी,

ठगी फिर जाना चाहती हूँ।



आज ये कितने,

साल हैं गुजरे,

एक-एक दिन को गिनते।

प्यार की बारिश

में....हम...भीगे,

लड़ते...और....झगड़ते।

वही.......पुराने,

प्रेम - तराने,

गाना......चाहती......हूँ।



जो मान दिया,

सम्मान दिया,

दी खुशियों की बरसात।

अवगुण हर के,

सद्गुण भर के,

बाँटे दिन और रात।

परिवार....संग,

राग और रंग,

मनवाना....चाहती...हूँ।



 

हमारे 48वे परिणय दिवस को समर्पित यह गीत


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