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परमहंस बाबा पानपदास जी महाराज







धामपुर उत्तर प्रदेश में स्थित परमहंस बाबा पानपदास जी महाराज की गुरु गद्दी एक प्रमुख आध्यात्मिक स्थल है। जो उनके जीवन, शिक्षाओं और चमत्कारों से रूबरू हुआ है। यह स्थान न केवल धार्मिक श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।


🔹बाबा पानपदास जी का जीवन और चमत्कार


बाबा पानपदास जी का जन्मस्थान राजस्थान के तिजोरा गाँव में माना जाता है। लगभग 1720 में वे धामपुर आये, जहाँ उन्होंने राजगिरि में एक महल के निर्माण का कार्य किया। एक घटना में, जब एक दीवार तिरछी हो गई, तो उन्होंने केवल उसे सीधा स्पर्श किया, जिससे उनकी आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण मिल गया। इसके बाद, महल के सेठ ने उन्हें महल समर्पित कर दिया, जो आज उनकी गुरु गद्दी के रूप में प्रतिष्ठित है।


उनकी चमत्कारी कहानियों में से एक में, नवाब नजीबुद्दौला ने अपने बैलों की जोड़ी को तोड़ने का आदेश दिया। आश्चर्यजनक रूप से, बैल स्वयं नवाब के महल में पहुँच गए। एक घटना में, नवाब ने उन्हें अन्य मिठाई के उपहार भेजे, जिन्हें बाबा ने मिठाई में बदल दिया। जब नवाब ने अपने घर ले जाकर देखा तो वह फिर से शराब में बदल गया।


🔹गुरु गद्दी एवं वार्षिक मेला


बाबा पानपदास जी ने सन् 1774 में धामपुर में समाधि ली। उनके गुरु गद्दी पर हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण सप्तमी को दो दिव्य मेले आयोजित होते हैं। इस मेले में किशोर प्रसाद चढ़ाकर अपने और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। समाधि स्थल भंडारा पर भी आयोजित किया गया।



सद्गुरु पठिदास जी के संयोजक


सद्गुरु पठदास जी महाराज के जीवन से जुड़े कई चमत्कार भक्तों के बीच प्रसिद्ध हैं। उनके ये चमत्कार न केवल उनकी आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण हैं, बल्कि उनके अद्वितीय और सहज जीवन के भी परिचायक हैं। उनके कुछ प्रमुख चमत्कारों का वर्णन यहां दिया गया है।


1. तिरछी दीवार का चमत्कार


जब पठठदास जी धामपुर आये, उस समय वे राजगिरि (सुपर डिलर) के रूप में एक निर्माण कार्य में लगे थे। निर्माण के दौरान एक दीवार तिरछी हो गयी थी, जिसमें सीधे-सीधे शिल्पकार अशक्त हो गये थे। तब पठदास जी ने दीवार को हाथ से छुआ और वह तुरंत उठ गये। इस चमत्कार से सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।


2. नवाब को चमत्कारी शो (मीत से मिठाई)


नवाब नजीबुद्दौला ने बाबा की परीक्षा लेने के लिए उन्हें मीट का थैला भेजा। बाबा ने उस थाल दर्शन को और ध्यान लगाने की प्रार्थना की। जब नवाब ने उस वस्तु को देखा, तो उसमें मिठास की जगह मिठाई थी।

नवीन ने इसे चमत्कारिक रूप से तैयार नहीं किया और मिठाई को अपने घर ले गया। लेकिन जैसे ही उसने घर में मिठाई का मुंह खोला, वह फिर से मीठा बन गया। नवाब बाबा के मंच पर झुक गए और उन्हें सच्चा फ़कीर मान लिया।


3. बैल खुदा नवाब के महल मिले


एक बार नवाब नजीबुद्दौला ने बाबा के बैलों की जोड़ी का ऑर्डर दिया। बाबा ने किसी भी आदमी को नहीं बुलाया, केवल बैलों से कहा - "जाओ नवाब के पास"।

वो बैल एसेट बिना किसी पहचान के खुदवाम नवाब के महल तक पहुंचे और जहां रुक गए। यह देखकर नवीन स्तब्ध रह गया।


4. खून को दूध में बदलना


मेरे एक मित्र उदयराज सिंह बाबा के भक्त थे। उन्होंने बताया कि बाबा को किसी ने अपवित्र भोजन में खून मिला कर देने की कोशिश की थी। लेकिन जब बाबा ने उन्हें छुआ तो उनका दूध बदल गया।


5. समाधि लेने के समय की भविष्यवाणी


बाबा पठदास जी ने अपनी मृत्यु (समाधि) की तिथि और समय पहले ही घोषित कर दी थी। उन्होंने कहा कि फाल्गुन कृष्ण सप्तमी को वे ब्रह्मलीन होंगे - और ठीक है उसी दिन उन्होंने समाधि ली।


इन चमत्कारों ने उन्हें भक्तों की दृष्टि से साक्षात सिद्ध पुरुष और सद्गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया। उनकी गुरु गद्दी आज भी धामपुर में श्रद्धा का केंद्र है।


परमहंस बाबा पानपदास जी महाराज की गुरु गद्दी जिस महल में स्थापित है। उनका निर्माण कार्य बाबा पानपदास जी ने स्वयं किया था। वर्ष 1720 में जब वे धामपुर आए, उस समय लाज परिवार के बुजुर्गों द्वारा एक महल का निर्माण कार्य चल रहा था। बाबा पानपदास जी ने इस महल में राजगिरी (मिस्त्री) का काम किया था। एक प्रसंग के अनुसार, निर्माण के दौरान एक दीवार तिरछी हो गई, जिसके लिए अन्य अनुयायियों ने बाबा को दोषी ठहराया। सेठ द्वारा बताए जाने पर बाबा ने अपने चमत्कारिक स्पर्श से दीवार को सीधा कर दिया। इस चमत्कार से प्रभावित होकर सेठ ने महल बाबा को समर्पित कर दिया। बाबा ने उसी महल में अपनी गुरु गद्दी की स्थापना की, जो आज भी पूजनीय स्थल के रूप में पूजनीय है।


2024 में परमहंस बाबा पानपदास जी महाराज की गुरु गद्दी पर महंत हरनाम दास जी मंदिर थे। वार्षिक महोत्सव के आयोजन को लेकर स्वामी बुद्धदास और स्वामी बजरंगदास के गुटों के बीच धूम मच गई थी। दोनों गुटों ने मेले के आयोजन के लिए प्रशासन को अलग-अलग अनुमति दी थी। प्रशासन की ओर से संयुक्त समिति का गठन किया गया। महंत हरनामदास के आदेशानुसार संयुक्त समिति के आयोजन में मेला प्रमुख चौधरी हुए।





संकलनकर्ता

डॉ. पुष्प पुष्पक वरिष्ठ पत्रकार

स्योहारा

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