कोरोना काल में जहां समूचे विश्व समुदाय के लोग अपने-अपने घरों में सिमट कर बैठे थे वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो घर बैठकर भी अपने कार्य को पूरी तन्मयता पूर्वक कर रहे थे। मार्च महीने से भारत में लॉकडाउन हो गया उस दौरान सरकार के प्रतिदिन नए दिशानिर्देश आ रहे थे, विश्व स्वास्थ्य संगठन से रोज नई डरावनी जानकारियां आमजन के बीच पहुँच रही थीं। कोविड-19 नाम के इस वायरस का कब खात्मा होगा इसके बारे में कोई भी स्वास्थ्य संगठन या किसी भी देश की सरकार कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थी। इस वैश्विक महामारी के चलते प्रवासियों का पलायन अनवरत जारी था, बहुतेरों लोगों की दो वक्त की रोटियां तक इस वैश्विक महामारी ने छीन ली थी। पूरे मानव समाज को इस वैश्विक महामारी की वजह से हर तरह का नुकसान उठाना पड़ रहा था। समूचे विश्व में बस कयास की लगाए जा सकते थे कि आगे भविष्य में क्या होगा? सबको अपना भविष्य धुँधला ही नज़र आ रहा था एवं सब लोग हैरान तथा परेशान थे। आने वाले वर्षों में लोग इस वैश्विक महामारी को भूल नहीं पाएंगे एवं इसके बारे में आने वाली पीढियां जानना चाहेंगी लेकिन उन्हें सटीक जानकारी तभी मिल सकेगी जब लॉकडाउन एवं को