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Showing posts from January, 2020

वैशु

निधि भंडारे   निशि बहुत बेचेन थी| रह रहकर उसके मन में वैशु का खयाल आ रहा था| अभी 16 साल की उम्र, छोटी बच्ची और शादी भी हो गई| वैशु, 10 दिन ही हुए थे वैशु को उसके ऑफिस में काम करते हुए| निशि को याद है सोनाली ने बताया था, “म्याम, एक लड़की आयी है, उसेही काम की बहुत ज़रूरत है, सफाई के लिए रख लू? “तुम्हे ठीक लगता है तो रख लों,” सोनाली शादी में गई थी तो निशि जल्दी ऑफिस गई| जैसे ही ऑफिस पहुँची तो बाहर सीधियों में एक लड़की बैठी| निशि को लगा कोई बैठी होगी और निशि ने ऑफिस का ताला खोला और अंदर चली गई| तभी 5 मिनट बाद वही लड़की अंदर आयी| नमस्ते मैडम” वो बोली| नमस्ते, निशि ने जवाब दिया|   मैडम, मैं वैशु, आपके ऑफिस में सफाई करती हूं, वो बोली| निशि कुछ देर कुछ ना बोल पाई, छुपचाप उसे देखती रह गई| मैडम, पंधरा साल, अभी दसवी में हूं, वैशु धीरे से बोली, तो बेटा, पढाई करो, ये सब काम क्यों करती हो? निशि ने वैशु से कहा| मैडम, अब पढाई नहीं होगी, शादी हो गई ना, वैशु बोली| कब हुई शादी? निशि ने पूछा| नौ महीने हो गये, वैशु ने बताया| निशि को वैशु के घरवालों पर बहुत गुस्सा आया| उसने पूछा, तुम्हारे माता पिता ने तुम्हारी

मां

निधि भंडारे   राहुल ने अचानक घडी देखी, ६ बज गये थे, काम बहुत बाकी रह गया था| तभी उसकी नज़र रानू पे गई| अरे रानू, क्या बात है? आज कैसे इतनी देर तक रुक गई? सतीश इंतजार कर रह होगा, राहुल ने पूछा| उडा लो मजाक तुम, तुम्हारा वक्त आयेगा तब देखेंगे, रानू हस्ते हुई बोली. तभी सखाराम, ऑफिस का पिओन आया और बोला राहुल सर आपको बड़े साब ने तुरंत ऑफिस में बुलाया है, रानू ने जैसे ही सुना हँसकर बोली, और उडाओ मजाक, अब देखो तुम्हारी क्लास लेंगे संजय सर| राहुल मुस्कुराया और संजय सर के केबिन की तरफ चला गया| मे आय कम इन सर?  राहुल ने पूछा| यस माय डिअर, कम इन, संजय सर मुस्कुराते हुए बोले, “राहुल, सच में ऑफिस में तुम्हारे लोग हैं इसलिए हम इतना आगे बढे है| थैंक यू सर, बस आशीर्वाद है, राहुल बोला| एक जरुरी काम के लिए बुलाया है तुम्हें, संजय सर बोले| हुकुम कीजिये सर, राहुल बोला| कल रात तुमको कुछ जरुरी डॉक्यूमेंटस लेकर बिलासपुर निकलना होगा, वही पास एक गाँव हैं, करेली, वहां के पंच का साईन लाना है और ये काम सिर्फ तुम ही कर सकते हो, संजय सर बोले| थोड़ी तकलीफ होगी तुम्हें क्योकि ट्रेन सिर्फ बिलासपुर तक जाति है| फिर वहां से

देश यही पागल बदलेगा

लगभग चालीस साल पहले प्रकाशित इन्‍द्रदेव भारती जी की कविता 'देश यही पागल बदलेगा' हाथ लगी तो सोचने पर मजबूर कर दिया. आप भी आनन्‍द लीजिए और झाडू वाले नेता के बारे में चालीस साल पहले की कल्‍पना का चमत्‍कार भी देखिए. कविता के कॉपीराइट लेखक के पास है   इन्‍द्रदेव भारती

भूख

इन्द्रदेव भारती आदमखोरों को सरकारी, अभिरक्षण   वरदान  है । अपने हिंदुस्तान का भैया  अद्भुत......संविधान  है । इंसां  को  गुलदार मारे, उसको  पूरी   शह  यहाँ । गुलदार को  इन्सान  मारे, जेल   जाना   तय  यहाँ । रोज बकरा  यूँ  बलि  का बन    रहा   इन्सान   है । अपने हिंदुस्तान का भैया अद्भुत......संविधान  है । रोज  जंगल  कट  रहे हैं, जब   शहर   के  वास्ते । क्यूँ न जंगल ढूंढलें फिर खुद  शहर   के   रास्ते   इंसांं  हो   या   हो   हैवां, भूख का क्या विधान  है । अपने  इस  जहान   का, अज़ब ग़ज़ब विधान है ।  

रश्मि अग्रवाल एवं गौराश्री आत्रेय की पुस्तकें हुई विमोचित

परिलेख प्रकाशन से प्रकाशित दो पुस्तकों का विमोचन नजीबाबाद वरिष्ठ समाजसेवी एवं राष्ट्रपती द्वारा सम्मानित लेखिका रश्मि अग्रवाल के कविता संग्रह 'अरी कलम तू कुछ तो लिख' एवं बालिका कवयित्री गौराश्री की पुस्तक 'गौराश्री की कविताएँ' का विमोचन कार्यक्रम आर्यन कान्वेंट स्कूल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ माॅ सरस्वती के समक्ष अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पण के साथ-साथ गौराश्री आत्रेय के सरस्वती वंदना गायन से हुआ।   कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध शायर महेन्द्र अश्क तथा संचालन आलोक कुमार त्यागी ने किया। कार्यक्रम में डाॅ. सुधाकर आशावादी, राजेश मालवीय एवं सुचित्रा मालवीय मुख्य अतिथि रहे। अनेक पुस्तकें लिखने वाली रश्मि अग्रवाल ने बताया कि यह उनकी प्रथम काव्य पुस्तक है। जिसमें उनकी बीते लगभग दस वर्ष की मेहनत है। उन्होंने इन्द्रदेव भारती को अपना साहित्यिक आदर्श मानते हुए कहा कि लेखन मेहनत मांगता है परंतु प्रतिदिन इतने विषय मिलते हैं यदि जिन पर लिखने बैठो तो लगभग दो घंटे में एक अच्छा सा लेख लिखा जाता है। समाज में घटित होने वाली विभिन्न घटनाएँ और उन पर