इंद्रदेव शर्मा 'भारती' वरिष्ठ गीतकार, चित्रकार, शिक्षक ए-3, आदर्श नगर, नजीबाबाद-246763 (बिजनौर) उप्र मो. - 9927401111 (तर्ज़-आल्हा) दोहा तीन लोक नौ खंड में, ऐसो देश है नाय धन-धन भारत-भारती, गाऊँ शीष नवाय छंद धन-धन भारत देश हमारो, तीन लोक मैं ऐसो नाय धन-धन भारत माता हमरी, जाकै गीत शहीदन गाय धन-धन अपना अमर तिरंगा, नीले नभ लौ जो लहराय धन-धन जन-गण-मन अधिनायक, जाको कंठ करोड़ो गाय धन-धन हर एक भारतवासी, जानै जनम यहाँ पै पाय धन-धन क़लमें उन कवियन की, जानै इसके गीत लिखाय धन-धन वीर सपूती माता, जानै ऐसे पूत जनाय धन-धन ऐसी वीर जवानी, हँस-हँस अपनो शीष कटाय धन-धन अपना धवल हिमालय, जो भारत का भाल कहाय धन-धन हिंद महासागर जी, जो माता के चरण धुलाय धन-धन झर-झर झरते झरने, मीठा-मीठा जल पिलवाय धन-धन अमरित जैसा पानी, पावन नदियाँ रही लुटाय धन-धन चंदन माटी अपनी, जाकि सोंधी गंध सुहाय धन-धन अपनी पुरवैया जी, तन-मन शीतल करती जाय धन-धन अपने खेत सुभागे, सोने जैसी फ़सल उगाय धन-धन इन खेतन के राजा, जो जन-जन की भूख मिटाय धन-धन आरती और अज़ानें, गुरुबानी के शबद सुनाय धन-धन सिक्ख, मुसलमाँ, हिंदू, क्रिस्तानी जो एक