इन्द्रदेव भारती आधी रख,या सारी रख । लेकिन रिश्तेदारी रख ।। छोड़ के तोड़ नहीं प्यारे, मोड़ के अपनी यारी रख । शब्दों में हो शहद घुला, नहीं ज़बाँ पर आरी रख । भले तेरी दस्तार गयी, तू सबकी सरदारी रख । "देव'' नहीं दुनिया तेरी, पर तू दुनियादारी रख । नजीबाबाद(बिजनौर)उ.प्र