अर्चना सुयाल कोमल है कमजोर नहीं तू, शेरनी है कोई चोर नहीं तू, काली दुर्गा और शिवानी, तू महामाया, तू रूद्रानी । पूजते हैं तुम्हें राजा-रानी, प्रेम से सुनते तेरी कहानी, भर-भर के आॅंखों में पानी, तुझे चढ़ाये गंगा का पानी । कौन बिगाड़ तेरा पायेगा, जो आयेगा मिट जायेगा, रूप देखकर डर जायेगा, क्रोध में तेरे जल जायेगा । हाथ पकड़े तो, तोड़ दे उसको, आॅंख दिखाये तो, फोड़ दे उसको, सच्चा रास्ता दिखा दे उसको, अच्छी सीख सिखा दे उसको । काली दुर्गा की शक्ति तुम, भोले नाथ की हो भक्ति तुम, वर पाओ भोले दानी से, काली, भवानी, रूद्रानी से । पाप का घड़ा फोड़ तुम डालो, पाप का बखिया, उधेड़ तुम डालो, गंगाजी में खूब नहाओ, बम-बम भोले शंकर गाओ ।।